शहर में बढ़ रहा है मच्छरों का प्रकोप, मुख्य मार्ग में फॉगिंग, गली-मोहल्लों में माह में एक बार भी नहीं
भागलपुर : गर्मी की दस्तक के साथ ही शहर में मच्छरों की संख्या बढ़ गयी है. शाम होते ही मच्छर तेजी के साथ आने लगते हैं. घरों में ऑल आउट और गुड नाइट का भी इन पर असर नहीं हो रहा है. मच्छराें से निजात दिलाने के लिए नगर निगम के द्वारा शहर के मुख्य […]
भागलपुर : गर्मी की दस्तक के साथ ही शहर में मच्छरों की संख्या बढ़ गयी है. शाम होते ही मच्छर तेजी के साथ आने लगते हैं. घरों में ऑल आउट और गुड नाइट का भी इन पर असर नहीं हो रहा है. मच्छराें से निजात दिलाने के लिए नगर निगम के द्वारा शहर के मुख्य मार्ग से लेकर वार्ड के गली-मोहल्ले तक फॉगिंग मशीन से छिड़काव करना था. इसके तहत मुख्य चौराहों पर छिड़काव के लिए तो रोस्टर बना लेकिन गलियों में अब भी छिड़काव नहीं हो रहा है.
मशीनें हो रहीं खराब : मशीन का उपयोग नहीं होने से मशीनें खराब हो रही है. चार छोटी और एक बड़ी मशीन है. शहर में कभी कोई बड़ा आयोजन हुआ तो फॉगिंग करायी जाती है, नहीं तो फॉगिंग नहीं करायी जाती. छोटी मशीन का प्रयोग बहुत कम होता है. बड़े मशीन से मुख्य मार्ग में छिड़काव किया जाता है. मोहल्ले में छिड़काव के लिए छोटी मशीन की खरीद की गयी थी. लेकिन आज भी शहर में कई वार्ड के कई मोहल्ले ऐसे भी हैं जिसमें लोगों ने छिड़काव होते नहीं देखा है.
एक घंटे में 60 लीटर डीजल व आठ लीटर पेट्रोल होता है खर्च : फॉगिंग मशीन की खरीद तो कर ली गयी, लेकिन इसे चलाने के लिए अलग से फंड की व्यवस्था नहीं की गयी.
जब चलाना हुआ तो आंतरिक संसाधन मद से राशि उपलब्ध करवाकर मशीन को चलाया जाता है. इन मशीन को चलाने में खर्च भी कम नहीं हैं. एक बड़ी मशीन को एक घंटे चलाने में 60 लीटर डीजल और आठ लीटर पेट्रोल की खपत होती है.
वहीं छोटी हैंड मशीन को 20 मिनट चलाने में पांच लीटर डीजल और दो लीटर पेट्रोल की खपत होती है. मच्छर मारने के लिए मेलाथियान कीट नाशक दवा का प्रयोग किया जाता है, जिसे मात्रा के हिसाब से दिया जाता है. बड़ी फॉगिंग मशीन की कीमत लगभग दो लाख 60 हजार रुपये, तो छोटी मशीन की कीमत लगभग 56 हजार रुपये है.