द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में सुनवाई
17 साल बाद आया फैसला, 11 गवाहों की हुई गवाही भागलपुर : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने 17 साल पूर्व जगदीशपुर के मोहद्दीनपुर में हरि प्रसाद यादव को गोली मारकर हत्या करने व सिर काटने के मामले में पांच आरोपित कृत्यानंद यादव, राजेंद्र यादव, गिरीश यादव, अरविंद यादव व मिन्टन यादव को सोमवार […]
17 साल बाद आया फैसला, 11 गवाहों की हुई गवाही
भागलपुर : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने 17 साल पूर्व जगदीशपुर के मोहद्दीनपुर में हरि प्रसाद यादव को गोली मारकर हत्या करने व सिर काटने के मामले में पांच आरोपित कृत्यानंद यादव, राजेंद्र यादव, गिरीश यादव, अरविंद यादव व मिन्टन यादव को सोमवार को दोषी करार दिया है. इसके अलावा 14 आरोपित को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया. इनमें मृत्युंजय यादव, नित्यानंद यादव, नकुल यादव, उदय यादव, विनोद यादव, सच्चिदानंद यादव, अजब लाल यादव, गणेश यादव, प्रकाश यादव, अजय यादव, नवल किशोर यादव, कटक उर्फ कनक लाल यादव, बंगट उर्फ सुरेंद्र यादव, लंगट यादव शामिल हैं. दोषी आरोपितों को दो अप्रैल को सजा सुनायी जायेगी. उक्त मामले में 11 लोगों ने गवाही दी थी. सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक मो रियाज हुसैन व बचाव पक्ष से प्रदीप कुमार सिन्हा ने पैरवी की.
यह है मामला. जगदीशपुर के मोहद्दीनपुर में 15 सितंबर 2000 को अंबिकानंद यादव के भाई हरि प्रसाद यादव सुबह 10 बजे अपने लड़के कृष्ण मोहन कन्हैया का इलाज कराने भागलपुर गये थे. वहां से इलाज करवाकर शाम चार बजे दोनों मैक्सी से मोहद्दीनपुर मोड़ पर उतर गये. वहां पर उसका चचेरा लड़का कृष्ण मोहन कन्हैया को साइकिल से घर लेकर चला गया और हरि प्रसाद यादव पैदल अपने घर पर जाने लगा. तभी उनका पीछा करते हुए अरविंद यादव, प्रकाश यादव, गिरीश यादव, कृत्यानंद यादव, सुरेंद्र यादव आये. कृत्यानंद यादव ने हरि प्रसाद यादव पर गोली चला दी. गोली लगने के बाद हरि प्रसाद यादव भागे तो राजेंद्र यादव ने गोली मारी. घटना के बाद हरि प्रसाद यादव पड़ोस के धान के खेत में गिर गये. अन्य आरोपित मृत्युंजय यादव, नित्यानंद यादव, नकुल यादव, उदय यादव, विनोद यादव, सच्चिदानंद यादव, अजब लाल यादव, गणेश यादव, अजय यादव, नवल किशोर यादव, कटक उर्फ कनक लाल यादव, बंगट उर्फ सुरेंद्र यादव, लंगट यादव ने हरि प्रसाद यादव को पकड़ लिया और धारदार हथियार से उसका सिर काट दिया. उसके शव को छिपाने की भी कोशिश की. जब हरि प्रसाद यादव नहीं आये तो परिजन उसे खोजने लगे और पूरे घटनाक्रम का पता लगा. पुलिस की जांच में घटना का कारण जमीन विवाद था और संबंधित विवाद को लेकर न्यायालय में केस लंबित था.