उन्होंने बताया कि महर्षि मेंहीं परमहंस भारतीय संत और ध्यानगुरु थे, जिनका जन्म 1885 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1986 में हुई थी. वे आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान और साधना के क्षेत्र में प्रसिद्ध थे और उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की. महर्षि मेंहीं परमहंस ने ध्यान मार्ग को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित किया और उनका ध्यान संचालन करने का तरीका आज भी उनके अनुयायियों द्वारा अनुसरण किया जाता है. महर्षि मेंहीं परमहंस ने संतमत के अनुसार आत्मा का मूल्यांकन किया और मानव जीवन के उद्देश्य को समझाया. उन्होंने योग, ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास के माध्यम से आत्मा के विकास को प्रमुखता दी। उनके शिष्यों को वे सदैव सत्य, निष्काम कर्म, और प्रेम के माध्यम से जीवन जीने का उपदेश दिया.
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