तारणहारों की अनोखी फौज, एक साल में बचा चुकी है तीन जिंदगियां, पर नहीं मिली मजदूरी

भागलपुर : गंगा में 90 से 120 सेकेंड तक गोता लगाना, ऊपर आना, फिर उतनी ही देर तक गोता लगाना और डूबे हुए की पानी के भीतर तलाश करना. यह मामूली काम नहीं है. डूबनेवाले अपनी जिंदगी बचाने के लिए जितना संघर्ष कर रहे होते हैं, उन्हें तलाश करने में उससे कम मेहनत नहीं होती. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2018 5:27 AM

भागलपुर : गंगा में 90 से 120 सेकेंड तक गोता लगाना, ऊपर आना, फिर उतनी ही देर तक गोता लगाना और डूबे हुए की पानी के भीतर तलाश करना. यह मामूली काम नहीं है. डूबनेवाले अपनी जिंदगी बचाने के लिए जितना संघर्ष कर रहे होते हैं, उन्हें तलाश करने में उससे कम मेहनत नहीं होती. डूबे हुए को बचानेवाले ऐसे ‘तारणहारों’ की अनोखी फौज भागलपुर में है. पिछले एक साल के आंकड़ों को देखें, तो गोताखोरों की इस फौज ने तीन घरों के चिराग को बुझने नहीं दिया, लेकिन इन्हें आज तक इनकी मजदूरी का एक छटांक भी नहीं मिला. 29 गोताखोर की फौज रेड क्रॉस सोसाइटी के नेतृत्व में काम करती है.

कहते हैं गोताखोर : रविवार को सैंडिस कंपाउंड स्थित रेड क्रॉस भवन में आयोजित सम्मान समारोह समाप्त होने के बाद गोताखोर ने बताया कि वर्ष 2015 में रेड क्रॉस से जुड़े. रेड क्रॉस सोसाइटी की ओर से बिहटा में प्रशिक्षण दिलाया गया. तबसे जहां भी जाने का निर्देश मिला, वहां जाकर काम किया, लेकिन आज तक एक रुपये नहीं मिला.
राशि भुगतान की लड़ रहे लड़ाई
गोताखोर सतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 में बाढ़ के दौरान ड्यूटी की थी, लेकिन भुगतान नहीं दिया. सीओ के पास दौड़ते रहे. नवगछिया के एसडीओ से मिले, तो उन्होंने सुझाव दिया कि लोक शिकायत निवारण में मामला दर्ज कराओ. फिर मामला दर्ज कराया. भुगतान करने का निर्देश मिला, लेकिन आज भी दौड़ ही रहे हैं.
12वीं कक्षा पास हैं. पिता मो समशू मजदूरी करते हैं. काली प्रतिमा विसर्जन के दौरान नाथनगर के रामपुर घाट पर एक युवक का शव ढूंढ़ा. इंजीनियरिंग कॉलेज घाट पर इसी साल दो छात्रों का शव ढूंढ़ने में कामयाब रहा.
मो आविद, बड़ी खंजरपुर

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