िजलािधकारी व मेयर के दफ्तर में पड़ी है रिपोर्ट

भागलपुर : भागलपुर शहर महामारी फैलने का इंतजार कर रहा है. शहर कैंसर और डायबिटिज जैसी घातक बीमारी की गिरफ्त में आने की पूरी तैयारी कर बैठा है. भागलपुर के 205 अस्पतालों से निकलनेवाले बायोमेडिकल कचरे का निबटारा नहीं हो रहा, बल्कि शहर में ही डंप हो रहा है. बिना जलाये डंप बायोमेडिकल कचरे की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2018 7:27 AM
भागलपुर : भागलपुर शहर महामारी फैलने का इंतजार कर रहा है. शहर कैंसर और डायबिटिज जैसी घातक बीमारी की गिरफ्त में आने की पूरी तैयारी कर बैठा है. भागलपुर के 205 अस्पतालों से निकलनेवाले बायोमेडिकल कचरे का निबटारा नहीं हो रहा, बल्कि शहर में ही डंप हो रहा है. बिना जलाये डंप बायोमेडिकल कचरे की मात्रा सालाना के हिसाब से 2394 क्विंटल है. यह कितना खतरनाक व भयावह रूप दिखा सकता है, इसका सहज अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.
इस तरह डंप हो रहा कचरा
भागलपुर में सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की एक यूनिट मायागंज स्थित जिला उद्योग केंद्र के समीप स्थापित है. इसमें भागलपुर के 330 अस्पतालों में महज 125 अस्पतालों के कचरे का निबटारा हो रहा है. 205 अस्पतालों का कचरा इस प्लांट में पहुंचने के बजाय या तो नगर निगम के कूड़ा उठानेवाले वाहनों में ढोये जा रहे या फिर नालियों में बहाये जा रहे. एक अस्पताल से प्रतिदिन औसतन 3.2 किलोग्राम कचरा निकलता है. इस तरह 205 अस्पतालों से सालाना 2394 क्विंटल कचरा लोगों की जान का दुश्मन बनता जा रहा है.
अधिकारी दबाये बैठे हैं रिपोर्ट
सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की यूनिट का निरीक्षण भागलपुर की मेयर सीमा साहा ने फरवरी 2018 में किया था. उन्होंने ऐसे अस्पतालों की रिपोर्ट यूनिट के पदाधिकारी से मांगी थी, जो बायोमेडिकल कचरा निबटाने के लिए रजिस्टर्ड नहीं है. कंपनी के निदेशक नीरज अग्रवाल ने 21 फरवरी 2018 को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव, भागलपुर की मेयर, जिलाधिकारी, सिविल सर्जन व नगर आयुक्त को पत्र के साथ उन अस्पतालों की सूची भेजी थी. मंगलवार को जब प्रभात खबर की टीम यूनिट में पहुंची, तो वहां मौजूद कर्मियों ने बताया कि अभी भी स्थिति पहले की तरह है. कोई भी नया अस्पताल इस यूनिट से नहीं जुड़ा है.
भागलपुर में इन खतरों की आशंका
बायोमेडिकल कचरे को 1150 डिग्री सेल्सियस के निर्धारित तापमान पर नहीं जलाया गया, तो यह लगातार डायोक्सिन और फ्यूरांस जैसे आर्गेनिक प्रदूषक पैदा करता है. इससे कैंसर, प्रजनन और विकास संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं.

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