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टीएमबीयू नहीं दे सका एक कमरा एक करोड़ का स्टेशन नहीं खुला

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एक करोड़ की लागत से एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (एक्यूएमएस) स्थापित होना था. लेकिन यह स्टेशन इसलिए स्थापित नहीं हो सका कि विश्वविद्यालय महज एक छोटा सा कमरा नहीं दे सका. स्टेशन की स्थापना हो जाती, तो न सिर्फ भागलपुर और अपने राज्य को प्रदूषण के लेवल की समय-समय पर […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एक करोड़ की लागत से एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (एक्यूएमएस) स्थापित होना था. लेकिन यह स्टेशन इसलिए स्थापित नहीं हो सका कि विश्वविद्यालय महज एक छोटा सा कमरा नहीं दे सका. स्टेशन की स्थापना हो जाती, तो न सिर्फ भागलपुर और अपने राज्य को प्रदूषण के लेवल की समय-समय पर जानकारी मिल पाती, बल्कि भागलपुर विश्वविद्यालय के छात्र इसके जरिये शोध कर पाते.
भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेस की संस्था इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ ट्राॅपिकल मेट्रोलॉजी (आइआइटीएम), पुणे की ओर से इसके लिए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का चयन किया गया था. उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर को इसका नोडल सेंटर बनाने का निर्णय हुआ था. इसे एमएपीएएन (माडलिंग एटमॉस्फेरिक पाॅल्यूशन एंड मॉनिटरिंग) से भी जोड़ने की योजना थी.
सारा खर्च मंत्रालय का, टीएमबीयू देता सिर्फ एक कमरा : करीब एक करोड़ की लागत से स्टेशन के तैयार करने की योजना थी. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस द्वारा इस पर होनेवाला सारा खर्च वहन किया जाना था. सारे साजोसामान व उपकरण मुफ्त में उपलब्ध कराने की योजना थी.
वर्ष 2016 से शुरू हुई थी कवायद, 2017 में एमओयू
सूत्र बताते हैं कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग के एक शिक्षक ने आइआइटीएम को प्रस्ताव भेजकर स्टेशन खोलने का अनुरोध किया था. वर्ष 2016 से यह कवायद शुरू की गयी थी. फरवरी 2017 में दोनों संस्थानों (आइआइटीएम व टीएमबीयू) के बीच कागजात का काम पूरा कर लिया गया. मार्च 2017 में दोनों संस्थानों के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर भी हो गया.
इसके बाद टीएमबीयू के जिम्मे सिर्फ इतना काम रह गया था कि एक कमरा उपलब्ध कराया जाता और स्टेशन की स्थापना आइआइटीएम द्वारा कर दिया जाता. लेकिन कमरे पर होनेवाले तकरीबन एक लाख के खर्च करने की फाइल किसी अधिकारी के दफ्तर में लटकी रह गयी.
स्टेशन से मिलती जानकारी, हवा में कितना ‘जहर’
एयर पाॅल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशन का काम हवा में प्रदूषण का लेवल मापना होता है. इसकी रिपोर्ट राज्य व केंद्र सरकार को भेजी जाती है. उस रिपोर्ट के अनुसार सरकार यह निर्णय लेती है कि प्रदूषण का लेवल क्या है और इससे निबटने के क्या उपाय किये जाएं. एयर पाॅल्यूशन का स्तर मसलन एनओएक्स, सीओ, ओ थ्री, हाइड्रोकार्बन्स के अलावा एसपीएम (सस्पेंडेंड पार्टिकुलम मेटेरियल) के स्तर को यह बताया जाता है.

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