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जेनेरिक दवा को ले कमेटी का गठन

भागलपुर : जिले के मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवा को बेहतर तरीके से रखा जाये. इसके लिए ड्रग विभाग ने अपना कार्य आरंभ कर दिया है. जिले को पांच जोन में बांटने के बाद सभी ड्रग इंस्पेक्टर इसको लेकर अभियान चलाने वाले हैं. विभाग के अधिकारियों की माने तो केंद्र सरकार का पत्र मिल चुका […]

भागलपुर : जिले के मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवा को बेहतर तरीके से रखा जाये. इसके लिए ड्रग विभाग ने अपना कार्य आरंभ कर दिया है. जिले को पांच जोन में बांटने के बाद सभी ड्रग इंस्पेक्टर इसको लेकर अभियान चलाने वाले हैं. विभाग के अधिकारियों की माने तो केंद्र सरकार का पत्र मिल चुका है. इस कार्य के लिए टीम का गठन जल्द कर लिया जायेगा. साथ ही संयुक्त आदेश निकाल कर सभी मेडिकल स्टोर मालिक को भेजा जायेगा. प्रक्रिया पूरी होने के बाद विभाग की टीम मेडिकल स्टोर का निरीक्षण कर जेनेरिक दवा रैक की पड़ताल करेगी. सरकार के आदेश का पालन हर हाल में किया जायेगा.
300 तरह की जेनरिक दवा का दिया आॅर्डर, मिली सिर्फ 60 किस्म की, दुकानदार परेशान : केंद्र सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा जेनरिक दवा लिखे. जिससे मरीज को सस्ती दर पर बेहतर दवा मिल सके. लेकिन इस आदेश का असर सदर और मायागंज अस्पताल में पूरी तरह से नहीं दिख रहा है. यहां पहुंच रहे अस्सी फीसद मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. मायागंज अस्पताल परिसर में चल रही जेनरिक दवा दुकान में दवा की किल्लत है. वहीं सदर अस्पताल परिसर के बाहर सरकारी दवा दुकान में दस से ज्यादा मरीज एक दिन में नहीं आते.
मायागंज अस्पताल में चल रही दवा दुकान में दवा ही नहीं है
तीन माह पहले मायागंज अस्पताल में जेनरिक दवा दुकान खोली गयी थी. रोजाना इलाज करने यहां हजार से ज्यादा मरीज आते है. इनमें से अस्सी फीसद मरीज दवा की खरीदारी बाहर की दुकान से करते हैं. वहीं एक माह पहले दुकान संचालक ने तीन सौ तरह की दवा का आर्डर बीपीपीआई दिल्ली काे दिया था. बीस दिन बाद मात्र 60 तरह की दवा दुकान को सप्लाई की गई. बाकी आर्डर को रदद कर दिया गया. दुकान से मधुमेह, बीपी, एंटीबायोटिक, सर्दी खांसी की दवा, सिरप के साथ साथ विटामिन की दवा खत्म है. दुकान मालिक अशोक कुमार कहते हैं, दवा की कमी के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
इसके अलावा चिकित्सक भी जेनरिक दवा नहीं लिखते हैं. एक दिन में हमारे पास पचास से ज्यादा मरीज नहीं आते. चिकित्सक दवा लिखते हैं तो मरीज के परिजन सीधे गेट के बाहर दवा खरीदने निकल जाते हैं. वहीं सदर अस्पताल के पीछे सरकारी दवा दुकान का हाल बुरा है. यहां दवा तो उपलब्ध है, लेकिन इसे खरीदने वाला नहीं है. दुकान मालिक विशाल गौरव कहते हैं, सदर अस्पताल के एक दो चिकित्सक को छोड़ कोई भी जेनरिक दवा नहीं लिखता. सदर अस्पताल का रास्ता जो पीछे से हमारे मेडिकल की ओर आता है. वह बंद रहता है.

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