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विस्फोट के बाद आठ फीट की दीवार को फांद कर राजा ने बचायी जान
भागलपुर : विवाह भवन में खाना बन रहा था. वहां से हम करीब दस फीट की दूरी पर काम कर रहे थे. अचानक तेज आवाज में विस्फोट हुआ. पीछे मुड़े तो कई लोग घायल जमीन पर पड़े थे. मेरे पायजामा में आग लग चुकी थी. आंख के सामने अंधेरा छाने लगा था. बदहवास होकर भागने […]
भागलपुर : विवाह भवन में खाना बन रहा था. वहां से हम करीब दस फीट की दूरी पर काम कर रहे थे. अचानक तेज आवाज में विस्फोट हुआ. पीछे मुड़े तो कई लोग घायल जमीन पर पड़े थे. मेरे पायजामा में आग लग चुकी थी. आंख के सामने अंधेरा छाने लगा था. बदहवास होकर भागने लगे. जमीन पर गर्म तेल बिखरा था. इस पर पांव रख हम भागने लगे.
तेल और आग से शरीर जलने लगा था. पैर में लगी आग तेज होने लगी. दिशा की जानकारी भी नहीं था. तभी हमने सामने आठ फिट का दीवार देखा. इसे फांद कर दूसरी ओर जमीन पर गिरे. पायजामा में लगी आग को बुझाया. फिर मुझे एक आदमी मिला. उसने हमें बाइक पर बैठाया और सीधे सदर अस्पताल लेकर आया. यहां से हमें मायागंज अस्पताल भेज दिया गया. यह कहना है परबत्ती घटना में घायल 20 वर्षीय हलवाई राजा पंडित का .
तीन दिन पहले राजा अपने घर दरियापुर से भानू ठेकेदार के पास परबत्ती काम करने आया था. राजा कहता है हमें जिस व्यक्ति ने अस्पताल पहुंचाया उसने ही मेरे पिता को फोन पर इसकी जानकारी दी. खाना बनाने के लिए जिस गैस का प्रयोग हो रहा था उसमें कोई खराबी नहीं थी. यहां खड़े सभी लोग सामान्य रूप से भाेजन बनता देख रहे थे. विस्फोट गैस गोदाम में रखे 19 किलो के सिलिंडर में हुआ था. जिसके चपेट में हमलोग आ गये. दूसरी और राजा के पिता प्रहलाद पंडित ने बताया घटना की जानकारी हाेने पर हम लोग घर से भागते हुए अस्पताल आये. राजा को देख का संतोष मिला.
पोस्टमार्टम हाउस में ढाई सौ रुपया देकर लिया शव
बबलू के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद भी परिजनों को आधे घंटे के बाद शव सौंपा गया. इसकी वजह पोस्टमार्टम हाउस में कार्यरत कर्मचारियों का परिजनों से रुपये का डिमांड था. बबलू के पड़ोसी राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव की सिलाई के लिए यहां के कर्मचारियों ने हमसे सात सौ रुपया मांगा.
जब हमने गरीबी का हवाला दिया तो वो हमारी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि रुपया नहीं दिये तो शव को बिना सिलाई किये ले जाओ. इनकी बातों को सुनने के बाद हमारे सामने कोई चारा नहीं था. हमने किसी तरह 250 रुपया का व्यवस्था किया . रकम पूरी देने का दबाव कर्मचारी बना रहे थे. अंत में हमने उनके सामने हाथ पांव जोड़ा. जिसके बाद रुपया लेकर हमें लाश दिया गया.
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