सबौर के मुन्ना पांडे को हर हाल में फांसी, हाइकोर्ट से नहीं मिली दया

भागलपुर : सुप्रीम कोर्ट के निर्भया केस पर दिये फैसले की तरह पटना हाइकोर्ट की डबल बेंच ने भी भागलपुर के पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश की कोर्ट से सबौर में 31 मई 2015 को हुए बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के केस में मुन्ना पांडे को फांसी की सजा को बरकरार रखा है. हाइकोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2018 7:21 AM
भागलपुर : सुप्रीम कोर्ट के निर्भया केस पर दिये फैसले की तरह पटना हाइकोर्ट की डबल बेंच ने भी भागलपुर के पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश की कोर्ट से सबौर में 31 मई 2015 को हुए बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के केस में मुन्ना पांडे को फांसी की सजा को बरकरार रखा है. हाइकोर्ट के न्यायाधीश राकेश कुमार व अरविंद श्रीवास्तव की डबल बेंच ने अपने फैसले में टिप्पणी की है कि सुप्रीम कोर्ट से निर्भया केस में उक्त केस में दंड के प्रावधान की व्याख्या कर रखी है.
ऐसे आरोपित को हर हाल में सजा होनी चाहिए, ताकि घटना की पुनरावृति नहीं हो. पॉक्सो के विशेष अपर लोक अभियोजक शंकर जय किशन मंडल ने कहा कि हाइकोर्ट ने याचिका कर्ता के सभी तर्क को खारिज कर आरोपित पर कोई दया नहीं दिखाते हुए एक अभूतपूर्व फैसला दिया है. यह फैसला समाज में एक अच्छा उदाहरण पेश करेगा. वही पीड़िता के परिजन ने बताया कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. आरोपित को ऊपरी अदालत से माफी नहीं मिलना पूरी तरह न्याय की जीत है.
निचली अदालत ने विरल से विरलतम श्रेणी का अपराध कहते हुए दी थी फांसी : तत्कालीन प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश जनार्दन त्रिपाठी सह पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश जर्नादन त्रिपाठी ने 23 फरवरी 2017 को सबौर में 31 मई 2015 को 12 वर्षीय मासूम की हत्या व दुष्कर्म की घटना को विरलसे विरलतम की श्रेणी का अपराध बताया था.
कोर्ट की टिप्पणी थी कि आरोपित ने जान बूझकर अपराध की योजना बनायी. यह उनके अमानवीय आचरण को दर्शाता है. घटना ने हर व्यक्ति की अंतरात्मा को कचोट दिया. इस तरह समाज की नैतिकता भी विचलित हुई है. कोर्ट ने आरोपित मुन्ना पांडे को फांसी के अतिरिक्त 10 हजार रुपये जुर्माना और नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतने का निर्देश दिया था.
यह था मामला : सबौर में पीड़िता 31 मई 2015 को अपनी बहन के यहां गयी थी. उस दिन दोपहर में उसकी बेटी का फोन आया कि छोटी बहन नहीं मिल रही है. इस पर वह सबौर आ गयी और बेटी को खोजने लगी. वह अपनी बेटी को खोजने के लिए सबौर के ही मुन्ना पांडे के यहां गयी तो उसके घर पर ताला लगा था. इधर-उधर खोजने के बाद पीड़िता थकते हुए मुन्ना पांडे के परिजन फुच्चन पांडे से बात की.
वह भी अपने ससुराल में था. एक जून 2015 को जब वह आया तो उसके घर में प्रीतम तिवारी छिपा हुआ था, जबकि उसके घर में बाहर से ताला लगा था. इसके बाद जब मुन्ना पांडे का घर खोला गया तो वहां नाबालिग का शव मिला. पोस्टमार्टम में नाबालिग के मौत से पहले दुष्कर्म की रिपोर्ट थी. सबौर थाना ने मुन्ना पांडे व जुवेनाइल आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.

Next Article

Exit mobile version