मुख्य सचिव ने पूछा किस जिला में रहते हो, बच्चे बोले- सर मोहदीपुर में
बच्चों ने गांव के मुिखया का नाम पूछने पर बताया नाम नीतीश कुमार छैके जगदीशपुर : मुख्यमंत्री के सलाहकार पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, डीएम प्रणव कुमार, डीडीसी डॉ सुनील कुमार व अन्य प्रशासनिक अधिकारी शुक्रवार को लोक संवाद करने चांदपुर पंचायत के मोहदीपुर महादलित टोला तथा पुरैनी टोला सोनूचक के कनकैथी महादलित टोला […]
बच्चों ने गांव के मुिखया का नाम पूछने पर बताया नाम नीतीश कुमार छैके
जगदीशपुर : मुख्यमंत्री के सलाहकार पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, डीएम प्रणव कुमार, डीडीसी डॉ सुनील कुमार व अन्य प्रशासनिक अधिकारी शुक्रवार को लोक संवाद करने चांदपुर पंचायत के मोहदीपुर महादलित टोला तथा पुरैनी टोला सोनूचक के कनकैथी महादलित टोला पहुंचे. दौरे के दौरान ग्रामीणों ने सड़क, बिजली, पानी, पुल की मांग को सामने रखा. साथ ही मुख्य सचिव के सामने शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल गयी.
मोहदीपुर में आंगनबाड़ी केंद्र का जायजा लेने के बाद वे बगल में मौजूद प्राथमिक विद्यालय गये. एक ही क्लास रूम में वर्ग-तीन, चार और पांचवीं कक्षा के बच्चे पढ़ रहे थे. मुख्य सचिव ने बच्चों से जिला और राज्य का नाम पूछा, इस पर बच्चे राज्य का नाम नहीं बोल पाये. जिले का नाम पूछने पर अपने गांव का नाम मोहदीपुर बताया. बच्चों ने मुखिया का नाम नीतीश कुमार कहा. इसको लेकर अफसर भी हैरान हो गये. डीएम प्रणव कुमार ने क्लास में मौजूद शिक्षक से पूछा तो उन्होंने बताया कि बच्चे पांच साल से स्कूल में पढ़ रहे हैं.
नाराज डीएम ने शिक्षक से कहा कि पांच साल बीत गये फिर भी बच्चे कुछ नहीं जान सके, यह तो आपकी लापरवाही है. उधर पूर्व मुख्य सचिव ने बच्चों से पूछा कि यहां अंग्रेजी की पढ़ाई होती है, बच्चों ने एक स्वर में कहा, नहीं. ड्रेस का पैसा और किताब मिलता है तो कहा- हां. अंजनी कुमार सिंह ने ग्रामीणों से पूछा कि सच-सच बताइये, यहां शिक्षक समय पर रोज आते है, ग्रामीण बोले, स्कूल में दो शिक्षक हैं. मगर रोज समय पर नहीं आते.
आते भी हैं तो पढ़ाने के बजाय मोबाइल चलाते हैं. शिक्षक के बच्चे निजी व अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं. और हमारे बच्चे को स्कूल में सिर्फ बैठा कर रखा जाता है. इससे बच्चे कुछ नहीं जान पाते हैं. कई बार शिकायत किये मगर कुछ नहीं हुआ.
ओडीएफ योजना की पोल खुली
मध्य विद्यालय कनकैथी में बच्चों से घर में शौचालय बारे में सवाल पूछे गये. अधिकतर बच्चों ने जवाब दिया कि उनके घर में शौचालय नहीं है. इस पर चिंता प्रकट की गयी और बच्चों को अपने माता पिता से शौचालय बनवाने के लिये अनुरोध करने को कहा. स्कूल के रसोईघर में जाकर बच्चों के लिए बनाये जा रहे भोजन को देखा और देख कर संतुष्ट हुए.