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जेल रोड को फिर से उखाड़ कर बनाया जायेगा
भागलपुर : सड़क निर्माण में गुणवत्ता से समझौते का खेल किस तरह से चलता है, इसका अंदाजा जेल रोड जाने मात्र से ही लग जायेगा. जिस माह में सड़क बनी, उसी माह से ही टूटनी शुरू हो गयी. अगस्त आते-आते यह अब चलने लायक नहीं रह गयी है. जुलाई में सड़क बनी है. विभाग की […]
भागलपुर : सड़क निर्माण में गुणवत्ता से समझौते का खेल किस तरह से चलता है, इसका अंदाजा जेल रोड जाने मात्र से ही लग जायेगा. जिस माह में सड़क बनी, उसी माह से ही टूटनी शुरू हो गयी. अगस्त आते-आते यह अब चलने लायक नहीं रह गयी है. जुलाई में सड़क बनी है. विभाग की नाकामयाबी जब सामने आयी, तो अब जेल रोड को ऊखाड़कर बनाने का फैसला लिया गया है. पूरी सड़क को उखाड़ दिया जायेगा और नये सिरे से इसका निर्माण करायेगा.
वहीं झुरखुरिया मोड़ से लेकर रानी तालाब और इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने मोटरेवुल सड़क पर डब्ल्यूएमएम कराया जायेगा. यानी, इस पर पत्थर, माेरंग व डस्ट मिला मेटेरियल का एक लेयर चढ़ाया जायेगा. इसके बाद ही अलकतरा की सड़क बनेगी. डब्ल्यूएमएम कार्य बरसात तक कराना है, ताकि इसके ठीक बाद अलकतरे की सड़क बनायी जा सके.
मालूम हो कि ठेकेदार को जून में लोहिया पुल से लेकर इंजीनियरिंग कॉलेज के बीच सात किमी में जहां कहीं अलकतरा का पार्ट है, वहां की सड़क बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. यानी वर्क ऑर्डर मिलने के साथ ठेकेदार ने जेल रोड से सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया था और कुछ ही दिनों में सड़क बना भी दिया गया था. आनन-फानन में बनायी गयी सड़क का राहगीरों के चलने लायक नहीं है.
अलकतरा के साथ चूना या सीमेंट मिलाते तो नहीं टूटती सड़क. जेल रोड में जब अलकतरा की सड़क बन रही थी, तो उस दौरान इसमें अगर चूना या सीमेंट मिलाया जाता तो संभवत: यह निर्माण के साथ ही टूटती नहीं. चर्चा है कि बिटुमिनस वर्क में चूना या सीमेंट मिलाना था, लेकिन ठेकेदार की ओर से केवल अलकतरा व छर्री मिलाकर सड़क बना दी गयी.
सड़क टिके या न टिके, सात दिनों में करा दिया मोटरेवुल . ट्रैफिक ब्लॉक के आखिरी दिन मंगलवार झुरखुरिया मोड़ से रानीतालाब के बीच कांट्रैक्टर ने छोटे-छोटे गड्ढों को न केवल भरने का काम कराया है, बल्कि मोटरेवुल सड़क काे ग्रेडर मशीन से लेवलिंग भी कराया गया.
इसके साथ ही जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक सड़क चलने लायक बन गयी है.
मालूम हो कि एनएच विभाग ने दावा किया था कि उन्हें ट्रैफिक ब्लॉक मिले, तो सात दिनों में मोटरेवुल सड़क बना देगा. विभाग को सात दिनों का ट्रैफिक ब्लॉक मिला और उन्होंने अपने दावे को साबित कर दिया है. यही तभी संभव हुआ है, जब इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने हंगामा किया और प्रशासनिक पदाधिकारियों की नींद खुली. एनएच विभाग पर दबाव बनाया और सड़क चलने लायक तैयार हुई है.
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