धूमधाम से शुरू हुई बिहुला-विषहरी की पूजा डलिया चढ़ाने उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
भागलपुर : शहनाई पूरे तान पर थी. कोई बाला को देख रहा था तो कोई इसकी बराती को. बैंड मौजूद था. बराती बने युवाओं का जोश आसमान पर था. कोई बाला के मोर को ठीक कर रहा था, तो कोई गाड़ी सजा रहा था. इतने में डीजे पर गूंजता है- आये हम बराती बरात लेकर, […]
भागलपुर : शहनाई पूरे तान पर थी. कोई बाला को देख रहा था तो कोई इसकी बराती को. बैंड मौजूद था. बराती बने युवाओं का जोश आसमान पर था. कोई बाला के मोर को ठीक कर रहा था, तो कोई गाड़ी सजा रहा था. इतने में डीजे पर गूंजता है- आये हम बराती बरात लेकर, जायेंगे तुझे भी अपने साथ लेकर… इस गाने पर युवा झूमने लगते हैं, तो ग्रामीण महिलाएं भी ताली बजाती हैं.
बाला की बरात विषहरी स्थान चंपानगर से आगे निकलती है. चंपानगर समेत आसपास के इलाकों से गुजरने के बाद वापस विषहरी स्थान पर रोकती है. बाला की मूर्ति को सम्मान के साथ मंदिर के अंदर किया जाता है. बाला के अंदर आते है डीजे की आवाज बंद होती है और शहनाई की आवाज तेज. मंदिर के भक्त संतोष कुमार सामने आते हैं. बाला-बिहुला के विवाह का शुभ समय 12 बजे रात को है. इनकी चिंता है कि सिंदूरदान समय पर हो जाये. वैदिक रीति से बाला-बिहुला का विवाह शुरू होता है.
इस पल का गवाह बनने नाथनगर दियारा और ग्रामीण इलाके की महिलाएं व पुरुष मंदिर में डटे रहते हैं. कोई महिला विवाह गीत गा रही थीं, तो कोई बिहुला गीत. उत्साह-उमंग के बीच माहौल में शादी की खुशी थी. सिंदूरदान होते ही हर हर महादेव का जय घोष गूंजने लगता है. तभी बिहुला का सुहाग जोड़ा को हटा सफेद लिबास पहना दिया जाता है. शादी के पल भर बाद विधवा बनी बिहुला को देख महिलाओं की आंखों में आंसू निकल आते हैं. जुबान से सभी के एक ही शब्द निकलता है- महादेव आप की बेटी विषहरी ने ये क्या किया.
शहनाई की तान थम चुकी थीं. माहौल मातमी हो चुका था. इसी बीच भक्त की आवाज आती है- सांप ने काट लिया है. अब अपनी सुहाग की लड़ाई बिहुला विषहरी और यमराज से लड़ेंगी. हमारी बिहुला जीत जायेगी. बाला को मंडप पर लाया जाता है. कोलवार के रूप में एक लड़का सहबल बनता है. बिहुला को दूसरी जगह रहती है. विधि-विधान के बाद उसे मंडप में लाया जाता है.
झूमते हुए भगत गा रहे थे मनौन
विषहरी स्थान में दिनभर भगत लीला होता रहा. भगत झूमते हुए आते और माता विषहरी की पूजा करते हुए फिर गंगा की ओर चले जाते. कुतुबगंज की 120 महिलाएं अपने सिर पर नागनुमा कलश लेकर सीढ़ी घाट, बरारी की ओर नाचते हुए जा रही थी.
रात आठ बजे िनकली बरात
मोहद्दीनगर कागजी टोला लेन में धूमधाम से विषहरी पूजा हुई. रात्रि 8:30 बजे चांदो सौदागर के पुत्र बाला लखेंद्र की बरात निकाली गयी, जो पूजा स्थान से मोहद्दीनगर दुर्गा स्थान रोड होते हुए पुन: स्थल पर आकर पूरी हुई. परबत्ती में रात्रि 11 बजे सती बिहुला और बाला लखेंद्र का विवाह कराया गया. पूजा समिति के अध्यक्ष ज्योतिष मंडल समेत अन्य पदाधिकारी व सदस्यों का विशेष योगदान रहा. मिरजानहाट रोड इशाकचक में सुबह आठ बजे विषहरी पूजा हुई. रात्रि नौ बजे बरात निकाली गयी.
इशाकचक बुढ़िया विषहरी स्थान में प्रात: सात से 10 बजे तक सरकारी पूजा हुई. शाम चार बजे भगत पूजन हुआ. रात आठ बजे बिहुला की बरात निकली, जो बैंड-बाजों के साथ नयाचक शिव मंदिर, लालूचक काली मंदिर होते हुए पुन: विषहरी स्थान में पूरी हुई.
सड़कों पर निकली बरात, मंदिर में हो रहा था दूल्हे का इंतजार
भागलपुर : बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की गूंज थी. आस-पड़ोस समेत कई मुहल्ले से सजधज कर पहुंचे लोग उत्साह से लवरेज थे. दुल्हन के रूप में बिहुला सजी-धजी थी. इंतजार हो रहा था, तो सिर्फ दूल्हा बाला लखेंद्र का. उधर विभिन्न सड़कों से गुजरते हुए बाला लखेंद्र की बरात बिहुला के घर की तरफ बढ़ रही थी. साज-सज्जा, रंग-बिरंगी रोशनी बिखेरता छाता लेकर चलती तासा पार्टी, डीजे पर बजते गीत पर युवाओं का नृत्य बरात के उत्साह को भी मात दे रहा था.
ऐसी बरात भागलपुर के मोहल्लों से कोई एक-दो नहीं, बल्कि चांदो सौदागर के पुत्र बाला लखेंद्र की 116 बरात विभिन्न मंदिरों से बैंड-बाजों के साथ निकाली गयी. सती बिहुला और बाला लखेंद्र का विवाह रस्म-रिवाज के अनुसार कराया गया. बिहुला सती थी, इसलिए उसने हार नहीं मानी. सती बिहुला चंपा नदी के जल मार्ग से मंजूषा नाव पर चढ़कर देवलोक जाती है और अपने पति लखेंद्र को जिंदा लौटा कर लाती हैं.
116 स्थानों पर शुरू हुई पूजा
जिले के नवगछिया, सुलतानगंज, नाथनगर, जगदीशपुर, चंपानगर मनसा विषहरी स्थान, परबत्ती, इशाकचक, भीखनपुर, खंजरपुर, बरारी रिफ्यूजी कॉलोनी, गौशाला, दीपनगर, जोगसर समेत शहर के विभिन्न स्थानों पर माता बिहुला-विषहरी की प्रतिमा को भव्य रूप से सजाया गया था. शहर में कुछ स्थानों पर भगत पूजन भी हुआ. शहर में 78 स्थानों पर विषहरी पूजा हुई.
आदमपुर : स्थायी प्रतिमा की हुई पूजा
आदमपुर स्थित रानी चंद्रावती अहाता में स्थायी प्रतिमा की पूजा-अर्चना की गयी. शनिवार को प्रात: छह बजे हरेक पूजा स्थलों के कलश का विसर्जन किया जायेगा. अस्थायी प्रतिमाओं का विसर्जन 19 अगस्त को किया जायेगा.
मां विषहरी की प्रतिमा स्थापित
नाथनगर. लोक गाथा का त्योहार विषहरी पूजा इस बार भी धूमधाम से की जा रही है.गुरुवार मध्य रात्रि को विषहरी मुख्य मंदिर में प्रतिमा स्थापित की गयी. शुक्रवार को नियम निष्ठा से मां का पूजा अर्चना की गयी. महिलाओं ने सबेरे से डलिया चढ़ाना शुरू कर दिया, जो शाम तक अनवरत चलता रहा. महिलाओं ने डलिया चढ़ा कर मां से सुहाग की रक्षा व अन्य मनोकामना मांगी. दोपहर से पाठा बली शुरू हुई जो शाम तक चली.