भू अर्जन की ”जोड़ी” ने बदली मुआवजा भुगतान की चाल, पीरपैंती थर्मल पावर प्रोजेक्ट के 270 करोड़ व 120 करोड़ की राशि की बंदरबांट

भागलपुर : सृजन घोटाला में विकास को लेकर आयी राशि को भी घोटालेबाज हजम करने से नहीं चूके. इसका उदाहरण पीरपैंती थर्मल पावर प्रोजेक्ट को लेकर आयी 270 करोड़ व 120 करोड़ के बंदरबांट का है. भू अर्जन की ‘ जोड़ी ‘ (भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह व नाजिर राकेश झा) ने विकास राशि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2018 9:18 AM
भागलपुर : सृजन घोटाला में विकास को लेकर आयी राशि को भी घोटालेबाज हजम करने से नहीं चूके. इसका उदाहरण पीरपैंती थर्मल पावर प्रोजेक्ट को लेकर आयी 270 करोड़ व 120 करोड़ के बंदरबांट का है. भू अर्जन की ‘ जोड़ी ‘ (भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह व नाजिर राकेश झा) ने विकास राशि को गटकने को लेकर पूरा दिमाग लगाया.
उन्होंने मुआवजा भुगतान की चाल बदल डाली और परिणाम हुआ कि प्रोजेक्ट की राशि जमीन मालिकों के खाते में जाने के बजाय घोटालेबाजों के पास चली गयी. मुआवजा भुगतान का पहला तरीका यह है कि पीडी खाते से जमीन मालिक को संबंधित एसबीआइ बैंकर्स चेक से भुगतान हो सकता है. मगर इस प्रक्रिया की अनदेखा की गई.
अपनी मर्जी चलाते हुए आरोपितों ने विकल्प वाले भुगतान की प्रक्रिया को अपनाया और बैंक के माध्यम से जमीन मालिक को भुगतान करने का रास्ता चुना. भुगतान की बदली हुई चाल की एक सरकारी प्रक्रिया तैयार हुई, ताकि सामान्य तौर पर सवाल नहीं उठ सके. तभी के आला अफसरों को यह पता नहीं था कि, भुगतान की चाल बदलने का मकसद कुछ और ही था.
यह है जमीन मालिक को मुआवजा देने का नियम
अमीन या कानूनगो की मदद से मुआवजा सूची का निर्धारण.
भू अर्जन पदाधिकारी द्वारा सूची के आधार पर राशि देने पर मुहर.
नाजिर द्वारा भू अर्जन कार्यालय के पीडी (पर्सनल डिपोजिट) या बैंक खाता से चेक तैयार करता है.
अगर पीडी चेक से राशि निकलेगा तो एक विशेष मैसेंजर से ट्रेजरी में भेजा जाता है.
ट्रेजरी से अप्रूवल मिलने पर विशेष मैसेंजर पीडी चेक को एसबीआइ में ले जाता है. इस पीडी चैक डीडी या बैंकर्स चेक बनाने का निर्देश होता है.
नाजिर संबंधित जमीन मालिक के नाम से डीडी या बैंकर्स चेक लेते हैं और कार्यालय में प्राप्ति के बाद उन्हें मुआवजा देते हैं.
पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट योजना की भुगतान की चाल
केंद्र सरकार ने पीरपैंती थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए भू अर्जन के नाम से बने पर्सनल डिपोजिट खाता (पीडीए) संख्या-053 में 270 कराेड़ तीन लाख 32 हजार 693 रुपये जारी किये.
ट्रेजरी कार्यालय के खाते से राशि को जमीन मालिक को मुआवजा देने के लिए निर्देशित था.
26 जून 2014 को उद्योग विभाग ने पत्र संख्या-2299 से राष्ट्रीय बैंक के माध्यम से मुआवजा देने का निर्देश दिया.
10 जुलाई 2014 को तत्कालीन नाजिर राकेश झा ने अप्रूवल लेते हुए पीडी खाता से बचत खाता में राशि देने का पत्र बढ़ाया.
तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह से अनुमोदित पत्र पर 14 जुलाई को तत्कालीन डीएम डी कार्तिकेय ने भी निर्देश जारी किया.
तत्कालीन डीएम डी कार्तिकेय ने निर्देश दिया कि पीडी खाता से बैंक ऑफ बड़ौदा में राशि भेजा जाये.
डीएम के निर्देश से पहले एक जुलाई 2014 को बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता खोला गया.

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