भागलपुर: 16.5 किमी लंबी बाइपास के निर्माण की जब घोषणा हुई थी, तब से अगर विभागीय सक्रियता दिखता तो अब तक में बाइपास बन कर तैयार हो गया रहता. घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विक्रमशिला सेतु के उद्घाटन अवसर पर वर्ष 2001 में 23 जुलाई को की थी.
बाइपास के निर्माण कराने की पहल प्लानिंग से शुरू हुई और अंतिम चरण के टेंडर तक की प्रक्रिया पूरी करने में विभाग को 14 वर्ष लग गये. इस बीच जमीन सर्वे का काम वर्ष 2010 में पूरा किया गया. इसके बाद वर्ष 2010 के 12 दिसंबर को स्वीकृति के लिए डीपीआर को मंत्रालय भेजा गया. लंबे समय तक मंत्रलय में डीपीआर पड़े रहने के कारण वहां से यह कह कर लौटा दिया गया कि फिर से संशोधित कर डीपीआर को भेजा जाये.
संशोधित होने के बाद डीपीआर 100 करोड़ बढ़ कर 200.78 करोड़ हो गया. इसे पुन: स्वीकृति के लिए भेजा गया. स्वीकृत होने के साथ ही बाइपास निर्माण को हरी झंडी मिल गयी. लेकिन टेंडर अंडर प्रोसेस ही रहा. इसके बाद वर्ष 2013 में प्रथम चरण का टेंडर रिक्वेश फॉर क्वानटिटी किया गया. इसमें 23 बड़े ठेकेदार ने भाग लिया. इसमें एक ठेकेदार टेंडर से संबंधित कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं करने पर छंट गया. बाइपास के निर्माण को लेकर लगभग सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. बनाने वाली कंपनी का भी नाम तय है. केवल प्रपोजल पर हस्ताक्षर होना बाकी है. लेकिन मामला हाइ कोर्ट में है और स्टे ऑर्डर लगा है.