दर्द समेटे खड़ा है विक्रमशिला, 23 जुलाई को ही 17 वर्ष का हो गया है सेतु
भागलपुर : जुलाई में विक्रमशिला सेतु 17 साल का हो गया है. उत्तर और दक्षिणी बिहार को जोड़ने के लिए बने इस पुल से खगड़िया, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया कटिहार भागलपुर, बांका सहित झारखंड के कई जिले के लोगों को सेवा मिली और कम समय में आना-जाना आसान हुआ, मगर इससे लोगों को जख्म भी […]
भागलपुर : जुलाई में विक्रमशिला सेतु 17 साल का हो गया है. उत्तर और दक्षिणी बिहार को जोड़ने के लिए बने इस पुल से खगड़िया, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया कटिहार भागलपुर, बांका सहित झारखंड के कई जिले के लोगों को सेवा मिली और कम समय में आना-जाना आसान हुआ, मगर इससे लोगों को जख्म भी मिला. पुल कई लोगों की मौत का गवाह भी बनी.
यह स्थिति नियमित देखरेख के अभाव में होती रही है. पुल जब काफी जर्जर हो गयी और इससे आये दिन दुर्घटनाएं होने लगी तो पिछले साल जनवरी से मेंटेनेंस शुरू किया. मामूली गड़बड़ी मान 17 माह तक मेंटेनेंस होता रहा है. चूंकि, अब इसके पाये में दरार नजर आया है, तो भागलपुर से लेकर पटना तक में हलचल मची है. दरार ठीक तो कर लिया जायेगा मगर, यह आगे कितनों दिनों तक चलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा. क्योंकि इस इलाके का यह इकलौता गंगा सेतु है, जिस पर वाहनों का दबाव कई गुणा ज्यादा है.
मालूम हो कि विक्रमशिला सेतु का उद्घाटन 23 जुलाई 2001 को पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी ने किया था और इसका शिलान्यास 15 नवंबर 1990 में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था. पुल बन कर तैयार होने में 11 साल लगा था. क्योंकि शिलान्यास के छह माह बाद से पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था.
14 वें साल पर नजर आयी गड़बड़ी, 16 वें साल पर शुरू कराया मरम्मत. दिल्ली की कंस्ट्रक्शन इंक्यूपमेंट कंपनी के तीन सदस्य टीम ने निरीक्षण कर बताया कि पुल का ज्वाइंट एक्सपेंशन और बेंयरिंग में खराबी है. तब जाकर पुल निर्माण निगम को पुल की समस्या नजर आयी है. 14 साल बाद ही सही, लेकिन मरम्मत की दिशा में पुल निर्माण निगम कदम उठाया. मरम्मत का काम शुरू कराने में और दो साल लग गये.
ट्रैफिक के लिए विक्रमशिला सेतु पर्याप्त नहीं. विक्रमशिला सेतु ट्रैफिक के लिए पर्याप्त नहीं है. सेतु पर ट्रैफिक लोड बढ़ गया है, जब तक समानांतर सेतु का निर्माण नहीं हो जाता है, तब तक विक्रमशिला सेतु की सेहत बिगड़ती रहेगी.
सात साल बाद ही मिली थी रखरखाव की जिम्मेदारी :उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम, लखनऊ द्वारा पुल निर्माण के सात साल बाद रखरखाव की जिम्मेदारी पुल निर्माण निगम को सौंपी गयी थी. जिम्मेदारी मिलने के बाद से लगभग सात साल तक मेंटेनेंस पर एक पैसा खर्च नहीं किया गया है. केवल साढ़े तीन साल पहले सेतु के सड़क का निर्माण कराया गया था.