जीवन को सार्थक करने की कुंजी है संयम
भागलपुर : दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की उपासना की गयी. कोतवाली चाैक स्थित जैन मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए मुनिराज विप्रण सागर जी महाराज ने जीवन को सार्थक तथा सफल करने की कुंजी संयम बताया. उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा कि महापुरुष प्रतिकूलता और अनुकूलता की परवाह […]
भागलपुर : दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की उपासना की गयी. कोतवाली चाैक स्थित जैन मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए मुनिराज विप्रण सागर जी महाराज ने जीवन को सार्थक तथा सफल करने की कुंजी संयम बताया. उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा कि महापुरुष प्रतिकूलता और अनुकूलता की परवाह नहीं करते.
ज्ञान असली धन है. जिससे किसी का दिल दुखे, वह कार्य अच्छा नहीं हो सकता है. बचपन से ही अच्छे संस्कार डालिये, नहीं तो पूरा जीवन बेकार हो जायेगा. सद् विचार व्यक्ति को बेेचारा नहीं बनने देते हैं. गम से गम दूर नहीं होते. प्रसन्न रहने से गम आते ही नहीं. गुणों पर नजर रखने वाले महान बनते हैं. दोषों पर नजर रखने वाले तो कहीं के नहीं रहते. जो यम पर विजय प्राप्त करा दे, उसे संयम कहते हैं.
तीर्थंकर पहेली का आयोजन : सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान तीर्थंकर पहेली का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का नेतृत्व अनिल काला, पीयूष रारा, रितु छाबड़ा और नीरज पाटनी ने किया. मंगलाचरण राजीव पाटनी ने किया.
10वें तीर्थंकर शीतलनाथ को सुगंधित धूप अर्पण : सिद्धक्षेत्र परिसर में जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर शीतलनाथ को सुगंधित धूप अर्पण कर विश्व कल्याण की कामना के साथ संयम धर्म विधान पूरे भक्तिभाव एवं पारंपरिक तरीके से मनाया गया. आर्यिका गरिमामति माताजी ने कहा कि अच्छे कार्य अपना परिचय खुद ही देते हैं. हम उलझने नहीं, सुलझने आये हैं. तोड़ने का नहीं सबको जोड़ने का काम कीजिये. वहीं क्षुल्लक ध्यान भूषण जी ने कहा कि इंद्रियों का निग्रह और जीव दया संयम है.
सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने कहा कि साधुजनों की सेवा गुणों को बढ़ाने वाली है. इस मौके पर श्रीचंद पाटनी, विजय रारा, पदम पाटनी, सरोज जैजानी, नरेश काला, सुमंत पाटनी, सज्जन विनायका, सुभाष छाबड़ा, संदीप कुरमावाला, निर्मल पहाड़िया, सूरज जैन, अजय जैन, राम कुमार आदि उपस्थित थे.