भागलपुर : बाढ़ से प्रभावित नगर निगम क्षेत्र के मोहल्लों नाथनगर व सबौर के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का पानी करीब करीब निकल चुका है. निचले व गहराई वाले इलाके में जलजमाव की स्थिति है. बाढ़ के साथ आयी गंदगी से गांवों में दुर्गंध का आलम है. चारों ओर मृत पशु के सड़ गले शव, मलबा और कचरे का ढेर लगा है. चापाकल से गंदा पानी निकल रहा है. कुआं में गंदगी पसरी है. लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है.
गांव के कई बच्चे डायरिया व जलजनित बीमारियों से पीड़ित हैं. बच्चों को वायरल बुखार, सर्दी खांसी जैसी बीमारी ने घेर लिया है. ग्रामीणों की मांग है कि इलाके में ब्लीचिंग व चूना का छिड़काव किया जाये. गांव जाने वाली सड़क कई जगह ध्वस्त होने से लोगों को आवाजाही में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
दियारे से विस्थापित परिवार अभी भी राहत शिविर में . टीएमबीयू स्थित टिल्हा कोठी में नाथनगर दियारे से विस्थापित परिवार अबतक आश्रय लिये हैं. कुछ परिवार सामान समेट कर अपने घर लौटते दिखे. ग्रामीणों ने बताया कि गांव जाने के रास्ते पर दलदल व कीचड़ जमा है.
रास्ता सूख कर ठोस होने बाद ही सभी अपने घर पहुुंच पायेंगे. मवेशी व बच्चों को लेकर ग्रामीण अबतक शिविर में मौजूद है. बैरिया, रसीदपुर, गोसाइदासपुर में कई जगह सड़कें टूट गयी है. जमुनियां से बैरियां गांव तक श्रमदान से बनी सड़क ध्वस्त हो गयी है. लालूचक के पास जलजमाव की स्थिति है. दियारा से लोग पांच किलोमीटर ज्यादा दूरी तय कर बाजार पहुंच रहे हैं.
धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है जिंदगी
नाथनगर प्रखंड के दियारा क्षेत्र में बाढ़ का पानी कम होने के बाद रत्तीपुर बैरिया पंचायत के बैरिया, अजमेरीपुर, रसीदपुर, रसीदपुर भीठ, मोहनपुर बासा, दिलदारपुर, दारापुर, शंकरपुर, गोसाइदासपुर, मथुरापुर, हरिदासपुर, राघोपुर, रन्नूचक में जिंदगी पटरी पर लौट रही है. वैसे परिवार जो गांव से बाढ़ के दौरान बाहर नहीं निकले थे. वह अपने घर को दुरुस्त करने में लगे हैं. खेतीबाड़ी की तैयारी शुरू होने लगी है.
घट रहा बाढ़ का पानी, अब उजड़े चमन को संवारने की चिंता
नाथनगर. दियारा इलाके में बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे घटने लगा है. लोगों को उजड़े आशियाने को संवारने की चिंता सताने लगी है. शिविरों में रह रहे पीड़ित अब पुनः अपने घर वापस जाने की सोच रहे हैं. बाढ़ में गिर चुके कच्चे मकान को ठीक कर जाने को सोच रहे हैं. मोहनपुर दियारा के पीड़ित शंकर मंडल, विशु मंडल, दिवाकर मंडल आदि ने बताया कि शिविरों में उन्हें सरकारी व्यवस्था के सहारे जीना पड़ रहा है.
यहां न समय पर भोजन मिलता है और न पानी बाल बच्चों व मवेशियों को भी रहने खाने में दिक्कत हो रही है. बाढ़ का पानी घरों में घुसने से मकान लगभग क्षतिग्रस्त हो गया है. सरकार घर मकान ठीक कराने में कोई मदद नहीं दे रही है. पीड़ितों ने बताया कि पानी तो घर से निकल गया, मगर अभी पूरी तरह जमीन सूखने में करीब पांच दिन से अधिक लगेंगे. जमीन सूखने के बाद घर बनाने में जुट जायेंगे