गंगा बेसिन में 30 फीट गाद जमा, नहीं रुक पायेगा 35 लाख क्यूसेक बाढ़ का पानी
भागलपुर : गंगा नदी बेसिन में गाद भरने से करीब 32 लाख क्यूसेक बाढ़ के पानी का संचय नहीं हो पायेगा. बाढ़ समाप्त होते ही नवंबर-दिसंबर तक गंगा बेसिन में मीलों दूरी तक बालू व गाद के टीले दिखने लगेंगे. गंगा की औसत गहराई महज दो से पांच मीटर रह जायेगी. वर्तमान समय में गंगा […]
भागलपुर : गंगा नदी बेसिन में गाद भरने से करीब 32 लाख क्यूसेक बाढ़ के पानी का संचय नहीं हो पायेगा. बाढ़ समाप्त होते ही नवंबर-दिसंबर तक गंगा बेसिन में मीलों दूरी तक बालू व गाद के टीले दिखने लगेंगे. गंगा की औसत गहराई महज दो से पांच मीटर रह जायेगी. वर्तमान समय में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर 34 मीटर पर बह रहा है.
बाढ़ कम होेने के बावजूद नदी में गाद की जगह लबालब पानी रहता. लेकिन गाद के कारण अगले छह माह में गंगा का जलस्तर रसातल में चला जायेगा. बाढ़ का पानी ऊपर ही ऊपर बहकर समुद्र में मिल जायेगा.
केंद्रीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के उप निदेशक प्रशांत कुमार के अनुसार भागलपुर जिले में गंगा के मुख्य तल से ऊपर करीब 30 फीट गाद जम गया है. अगर गाद नहीं रहता तो जिले के नदी बेसिन में 30-35 लाख क्यूसेक वाॅल्यूम पानी जमा हो सकता था. लेकिन गाद की वहज से ऐसा नहीं हो रहा है. आज से बीस साल पहले गंगा बेसिन में पानी लबालब भरा रहता था.
गर्मी में भी नदी की अधिकतम गहराई 100 फीट या 33 मीटर तक रहती थी. नाै परिवहन कभी बाधित नहीं रहती थी. फिलहाल गर्मी के तीन माह जहाज का शहर के तटों पर पहुंचना मुश्किल होता है. गर्मी में शहर का भूगर्भीय जलस्तर गिरना तय है. धीरे-धीरे घरों में लगे चापाकल और बोरिंग फेल हो रहे हैं.
गाद के कारण बाढ़ और सुखाड़ दोनों: वहीं गंगा नदी के इकोसिस्टम पर सर्वे व रिसर्च करने वाले टीएमबीयू के भूगोल विभाग के पूर्व एचओडी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि, फरक्का बांध बनने से पहले बिहार में बाढ़ की हालत इतनी भयावह नहीं थी. वर्ष 1975 में इस बांध के शुरू होने के बाद नदी की तलहटी में 30 फीट तक लगातार गाद जमा होती रही है.
1976-86 के दौरान गंगा ने अपना रास्ता भी बदल दिया था. इसके बाद से नदी की गहराई कम होते गयी. नतीजतन बरसात के दिनों में कुछ दिनों की बारिश से ही गंगा उफना जाती है. फिलहाल भागलपुर जिला भी बाढ़ की चपेट में है. जबकि गर्मी में यह सूख जाती है. गंगा नदी में लगातार जमती गाद की वजह से उसकी गहराई बहुत कम हो गई है. राज्य के 12 जिलों में आई बाढ़ इसी का नतीजा है.
विलुप्त हो रहे जलीय जीव
डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि नदी की गहराई कम होने से जलीय जीव के विचरण की जगह कम पड़ गयी है. नदी का इको सिस्टम पूरी तरह बर्बाद हो रहा है. नदी में मछली समेत डॉल्फिन की मात्रा कम हो रही है. आज से 25 साल पहले सालोंभर नदी में लबालब पानी भरा रहता था और नदी में जीव जंतु बहुतायत में विचरण करते थे.