भागलपुर : इस वर्ष 25 सितंबर मंगलवार को आश्विन कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ हो रहा है. उसी दिन से पितृ तर्पण शुरू हो जायेगा. मंगलवार से लगातार 15 दिनों तक पितृ तर्पण होगा. मंगलवार से बाजार में ग्राहकों का आना कम हो जायेगा एवं व्यवसायियों का कारोबार मंदा पड़ जायेगा.
आठ अक्तूबर को पितृ तर्पण का अंत: आठ अक्तूबर को अमावस्या तिथि में पितृ तर्पण का अंत होगा और महालया की समाप्ति होगी. ज्योतिषचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि भादो पूर्णिमा को लेकर 24 एवं 25 सितंबर को सभी गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. पितृ पक्ष में कोई मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है.
चाहे बाजार में खरीदारी ही क्यों नहीं हो. यह पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक चलता है. इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों को तिल और जल देकर पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है. उन्होंने बताया कि 25 सितंबर मंगलवार को प्रात: काल सूर्योदय के बाद अगस्त तर्पण होगा. फिर पितृपक्ष का आरंभ हो जायेगा. काशी पंचांग के अनुसार पूर्णिमा 24 सितंबर सोमवार को है, लेकिन स्नान दान के लिए 25 सितंबर मंगलवार होगा. मिथिला पंचांग में 25 सितंबर को पूर्णिमा है.
पितृ पक्ष श्राद्धों के लिए 15 तिथियों का एक समूह: अाश्विन मास के कृष्ण पक्ष के 15 दिन पितृ पक्ष के नाम से विख्यात है. इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी पुण्यतिथि पर श्राद्ध करते हैं. पितरों का ऋण श्राद्धों द्वारा चुकाया जाता है. पितृ पक्ष श्राद्धों के लिए निश्चित 15 तिथियों का एक समूह है. वर्ष के किसी भी माह तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृ पक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है. पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है. इसी दिन से महालया का आरंभ भी माना जाता है.