बीओबी के मो सरफराज उद्दीन ने सीबीआई विशेष कोर्ट में किया सरेंडर
भागलपुर : सीबीआई विशेष कोर्ट में मंगलवार को गुजरात में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर के रूप में तैनात मो सरफराज उद्दीन ने सरेंडर किया. उनके खिलाफ कल्याण विभाग में हुए सरकारी राशि गबन मामले की जांच में चार्जशीट दायर हुआ था. इस चार्जशीट के बाद सीबीआई उक्त आरोपित के खिलाफ दबिश दे रही […]
भागलपुर : सीबीआई विशेष कोर्ट में मंगलवार को गुजरात में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर के रूप में तैनात मो सरफराज उद्दीन ने सरेंडर किया. उनके खिलाफ कल्याण विभाग में हुए सरकारी राशि गबन मामले की जांच में चार्जशीट दायर हुआ था. इस चार्जशीट के बाद सीबीआई उक्त आरोपित के खिलाफ दबिश दे रही थी.
सीबीआई कोर्ट ने आरोपित मो सरफराज उद्दीन को न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल भेज दिया. इस मामले में अगली सुनवाई चार अक्तूबर को होगी. इससे पहले सीबीआई की दो अलग-अलग टीम आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए गुजरात व कहलगांव के विक्रमशिला कॉलोनी नगर भी आयी थी. मगर वहां पर आरोपित गिरफ्त में नहीं आये.
पिछले दिनों सीबीआई कोर्ट ने 11 सितंबर को पूर्व भू-अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह, जेल में बंद पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार की पत्नी इंदू गुप्ता, क्षेत्रीय कार्यालय पूर्णिया बीओबी के वरुण कुमार, इंडियन बैंक पटल बाबू रोड के तत्कालीन सहायक शाखा प्रबंधक रामकृष्ण झा, बैंक कर्मी सुबोध दास, प्रवीण कुमार, एके विश्वास के खिलाफ वारंट जारी किया. सीबीआई कोर्ट से जारी वारंट को 13 सितंबर को सीबीआई ने रिसीव किया था. इसके बाद सीबीआई ने आरोपित क्षेत्रीय कार्यालय पूर्णिया बीओबी के वरुण कुमार, इंडियन बैंक पटल बाबू रोड के तत्कालीन सहायक शाखा प्रबंधक रामकृष्ण झा को गिरफ्तार किया था.
भेजे गये बेऊर जेल
कल्याण विभाग में हुए सरकारी राशि गबन मामले की जांच में उनके खिलाफ दायर हुआ था चार्जशीट
गुजरात में बैंक ऑफ बड़ौदा के ब्रांच मैनेजर के पद पर थे तैनात
आरोपित की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही थी सीबीआई
यह था कल्याण विभाग में आरोपित का गठजोड़
जिला कल्याण कार्यालय के पूर्व पदाधिकारी अरुण कुमार, मृतक नाजिर महेश मंडल के साथ सृजन समिति की मनोरमा देवी व बैंक ऑफ बड़ौदा के मो सरफराज उद्दीन ने फर्जीवाड़ा करके छह करोड़ का गबन किया.
आठ नवंबर 2016 को बीओबी के ऑफिसर ऑफ स्केल-3 पर तैनात मो सरफराज उद्दीन ने जिला कल्याण पदाधिकारी के नाम से चेक को फर्जी पर्ची बनाते हुए छह करोड़ रुपये की निकासी करायी.