हर वर्ष एक स्वयं सेवक को संघ से जोड़ें : भागवत
भागलपुर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन मधुकर भागवत ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम स्वयंसेवक एक घंटे नियमित शाखा में जाएं. साथ ही हर स्वयं सेवक वर्ष में न्यूनतम एक स्वयं सेवक बनाएं. तभी हमारा समाज श्रेष्ठ, शक्ति संपन्न व नैतिक मूल्याें से युक्त होगा. वे सोमवार को भागलपुर […]
भागलपुर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन मधुकर भागवत ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम स्वयंसेवक एक घंटे नियमित शाखा में जाएं. साथ ही हर स्वयं सेवक वर्ष में न्यूनतम एक स्वयं सेवक बनाएं. तभी हमारा समाज श्रेष्ठ, शक्ति संपन्न व नैतिक मूल्याें से युक्त होगा.
वे सोमवार को भागलपुर के आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में कार्यकर्ताओं और स्वयं सेवकों को बौद्धिक सत्र के दौरान संबोधित कर रहे थे. इससे पहले प्रथम सत्र में सुबह 10 बजे डॉ मोहन भागवत जिले के 43 स्वयं सेवकों और उनके परिवार से मिले जुले. वहीं दूसरे सत्र में बौद्धिक सत्र का आयोजन हुआ.
बौद्धिक सत्र में मंच पर सरसंघचालक के अलावा उत्तर-पूर्व बिहार और झारखंड क्षेत्र के संघचालक सिद्धिनाथ सिंह, भागलपुर विभाग संघचालक नरेश मोहन झा और नगर संघचालक डॉ चंद्रशेखर साह बैठे थे. दोनों सत्र मिला कर कार्यक्रम में एक हजार से अधिक स्वयं सेवक, कार्यकर्ता व उनके परिवार के सदस्य शामिल हुए.
स्वयं सेवक मिलजुल कर देशहित में चिंतन करें
डॉ भागवत से मिलने आये स्वयं सेवकों के साथ उनके परिवार की माताएं व बच्चे भी थे. पारिवारिक मिलन में डॉ भागवत ने स्वयं सेवकों व उनके परिवार के साथ अनौपचारिक बातचीत की. मोहन भागवत जब बिहार के क्षेत्र प्रचारक थे, तब के दिनों से साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं व स्वयं सेवकों का हालचाल जाना.
उन्होंने मिलने जुलने के दौरान कहा कि परिवार को कम से कम सप्ताह में एक दिन अवश्य बैठना चाहिए. बातचीत कर सुख-दुख बांट कर सामूहिक भोजन करना चाहिए. बातचीत में इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि परिवार का चित्त कैसे शुद्ध हो. सभी मिल जुल कर देश हित में चिंतन करें.
महापुरुषों की कहानी से प्रेरित होकर चित्त शुद्ध करें
मौके पर नवम कक्षा के छात्र पार्थ ने चित्त शुद्धि के उपाय पूछे. छात्र के प्रश्न पर सरसंघचालक चकित हुए. साथ ही सुखद अनुभूति के साथ उन्होंने कहा कि साधारण जीवन जीने से चित्त शुद्ध होता है. महापुरुषों की कहानी, प्रेरक प्रसंग, ध्यान, भजन आदि से चित्त शुद्ध होता है. साथ ही मन में दुर्विचार नहीं आते हैं. इस सत्र में डॉ एसके सहाय सहित कई पुराने कार्यकर्ता शामिल हुए.
लोगों में संघ के प्रति भरोसा और विश्वास बढ़ा : दूसरे सत्र में सरसंघचालक ने कार्यकर्ताओं का जीवन कैसा हो विषय पर बौद्धिक सत्र की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा कि पहले स्वयं सेवक अभाव का जीवन जीते हुए विपरीत परिस्थितियों में शाखा का संचालन करते रहे. शाखा के माध्यम से समाज को स्वच्छ व शक्ति संपन्न बनाने की दिशा में अग्रणी रहे.
स्वयं सेवकों के इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. संघ का काम पहले भी व्यक्ति निर्माण था और आज भी है. साथ ही आज परिस्थिति बदली है. लोगों में संघ के प्रति भरोसा और विश्वास बढ़ा है. ऐसा इसलिए हुआ कि हम शक्तिशाली हुए. समाज में हमारी स्वीकार्यता बढ़ी है. कार्यकर्ताओं ने अपने आचरण, जीवन व कर्म से समाज में अपना भरोसा बढ़ाया.
यह काम सिर्फ भाषण देकर नहीं हुआ है. सरसंघचालक के उद्बोधन में सभी स्वयं सेवक, कार्यकर्ता, क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह, सहक्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन, विभाग संघचालक नरेश माेहन झा, नगर संघचालक डॉ चंद्रशेखर साह, क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर, क्षेत्र सह प्रमुख अनिल ठाकुर, प्रांत प्रचारक राणा प्रताप, क्षेत्र सेवा प्रमुख अजय कुमार, सहक्षेत्र प्रचारक रामनवमी, प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश पांडेय, जिला प्रचार प्रमुख हरविंद नारायण भारती उपस्थित थे.