क्यों न निकले दमकल का दम, 13 साल से मेंटनेंस कम
अक्तूबर माह का कमियों का बकाया है वेतन बदहाली में भी किया बेहतर काम 6 दिसंबर को मिलेगा राष्ट्रपति सम्मान मिहिर/विद्यासागर, भागलपुर : जुलाई माह से फायर ब्रिगेड की गाड़ी को ईंधन तक नहीं मिला. इतना ही नहीं अक्तूबर माह का विभाग में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी को वेतन का भुगतान नहीं हुआ. साल 2005 […]
- अक्तूबर माह का कमियों का बकाया है वेतन
- बदहाली में भी किया बेहतर काम
- 6 दिसंबर को मिलेगा राष्ट्रपति सम्मान
मिहिर/विद्यासागर, भागलपुर : जुलाई माह से फायर ब्रिगेड की गाड़ी को ईंधन तक नहीं मिला. इतना ही नहीं अक्तूबर माह का विभाग में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी को वेतन का भुगतान नहीं हुआ. साल 2005 मॉडल की गाड़ी का आज तक पूरी तरह से सर्विसिंग नहीं की जा सकी है. ऐसे में अगर एेन वक्त पर दमकल की गाड़ी का दम निकल जाये, तो कोई आश्चर्य नहीं.
क्योंकि अरसे से यह बदहाली बदस्तूर जारी है. इन सब के बावजूद यहां कर्मचारियों का हौसला सातवें आसमान पर है. तमाम समस्याओं को पीछे छोड़ ये किसी घटना के बाद पगली घंटी बजाते सीधे निकल पड़ते हैं.
जुलाई माह से गाड़ी के लिए नहीं मिला है ईंधन: फायर ब्रिगेड विभाग की एक समस्या नहीं है. कई समस्याओं के बीच एक सबसे बड़ी समस्या गाड़ी के ईंधन को लेकर है. जुलाई माह से विभाग को इंधन के लिए फंड का आवंटन नहीं मिला है. ऐसे में अगर यहां के कर्मचारी रात दिन यहीं कामना करते हैं, कि कहीं से आग लगने की सूचना न आये.
इसके बाद भी अगर आग लगने की सूचना आ जाती है, तो ड्राइवर वाहन लेकर तैयार हो जाता है. बात पेट्रोल की होती है, तो किसी तरह इसकी व्यवस्था कर्मचारी और अधिकारी मिलकर करते हैं. वहीं समस्या और विकट तब हो जाती है, जब आग दियारा इलाके में लगने की सूचना आती है.
आज तक फुल सर्विसिंग नहीं : विभाग के पास छोटी बड़ी मिलाकर कुल सात दमकल गाड़ियां हैं. हालांकि उधारी के चालक को मिलाकर इनकी संख्या सात है. सात चालक में पांच चालक वन विभाग से उधारी में लिया गया है. विभाग के पास अपने दो ही चालक हैं. इस बीच समस्या यह है कि 2005 में आये वाहनों की फुल सर्विसिंग आज तक नहीं हुई है. वाहन में अगर खराबी आ जाये, तो स्थानीय मिस्त्री से इसे ठीक कराया जाता है. ऐसे में अगर कोई खराबी आ जाये तो गाड़ी विभाग के मैदान में खड़ी रह जायेगी.
फायर ऑफिसर विनय प्रसाद सिंह कहते हैं कि विभाग की ओर से पूरी सर्विसिंग के लिए कोई फंड की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अगर गाड़ी में खराबी आती है, तो उसे पटना से आदेश लेकर ठीक करवाया जाता है. गाड़ी अगर खराब हो जाये तो लोकल मिस्त्री इसे ठीक करने तक से मना कर देता है. क्योंकि मेहनताना के भुगतान में महीनों लग जाते हैं.
आर्थिक संकट झेल रहे कर्मी: विभाग में कार्यरत किसी भी कर्मचारी और अधिकारी को अक्तूबर माह से वेतन नहीं मिला है. इस वजह से इन्हें आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है. बताया जाता है कि सरकारी स्तर से विभाग के अधिकारियों के अधिकार में फेरबदल हुआ है.
पूर्व में वेतन पटना से आता था, लेकिन अब यह जिला स्तर पर मिलेगा. ऐसे में इन्हें वेतन कब मिलेगा, यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इनके रहने की व्यवस्था भी बेहतर नहीं है. किसी तरह रहते हैं और काम करते हैं.
तमाम दुश्वारियों के बीच विभाग को राष्ट्रपति सम्मान: दूसरी ओर तमाम दुश्वारियों के बीच अच्छी खबर यह है कि बेहतरीन कार्य करने के लिए जिला फायर अधिकारी को 6 दिसंबर को राष्ट्रपति सम्मान मिलने जा रहा है. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि पांच दिसंबर तक हर हाल में अधिकारी सम्मान के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंच जाएं. फायर अधिकारी विनय कुमार सिंह कहते हैं यह विभाग और जिला के लिए सम्मान की बात है.