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भागलपुर : जलापूर्ति योजना और वाटर वर्क्स का निरीक्षण, लंच घाट के पास नाले का पानी गिरता देख भड़के प्रोजेक्ट हेड
भागलपुर : शहर की जलापूर्ति योजना और वाटर वर्क्स का निरीक्षण करने आये एसोसिएशन डेवलपमेंट बैंक के बिहार प्रोजेक्ट हेड विवेक विशाल पैन इंडिया एजेंसी की धीमी कार्यप्रणाली पर खासे नाराज दिखे. बुधवार की सुबह आठ बजे वाटर वर्क्स का निरीक्षण करने आये एडीबी के प्रोजेक्ट हेड ने दोनों इंटक वेल का जायजा लिया. प्रस्तावित […]
भागलपुर : शहर की जलापूर्ति योजना और वाटर वर्क्स का निरीक्षण करने आये एसोसिएशन डेवलपमेंट बैंक के बिहार प्रोजेक्ट हेड विवेक विशाल पैन इंडिया एजेंसी की धीमी कार्यप्रणाली पर खासे नाराज दिखे. बुधवार की सुबह आठ बजे वाटर वर्क्स का निरीक्षण करने आये एडीबी के प्रोजेक्ट हेड ने दोनों इंटक वेल का जायजा लिया. प्रस्तावित कार्यस्थल के पास ही बड़ा सा नाला गंगा में गिरता देख वे बिदक गये.
उन्होंने एजेंसी के बिजनेस हेड राजीव मिश्रा से पूछा कि 70 लाख की योजना से चार साल तक क्या पानी इंटक वेल तक ला पाओगे. आखिर इस बात की क्या गारंटी है, इसपर सबने चुप्पी साध ली. उन्होंने इस जगह के सरफेस वाटर के जांच का निर्देश दिया. बुडको के कार्यपालक अभियंता योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि अब यहां से कुछ पीछे हटकर इस योजना पर काम शुरू होगा और स्टीमेट का भी रिवाइज होगा.
कटघर व ईदगाह मैदान में जल मीनार निर्माण को ले एजेंसी को एक सप्ताह में दें रिपोर्ट
कटघर और बरहपुरा ईदगाह मैदान में बनने वाले जल मीनार को लेकर आ रही परेशानी के बारे में बिहार बिजनेस हेड विवेक विशाल ने बुडको के सहायक अभियंता से कहा कि आप अपनी रिपोर्ट कब देंगे. इस पर सहायक अभियंता ने एक सप्ताह में रिपोर्ट देने की बात कही. वहीं मानिक सरकार जल मीनार को भी नया बनाने की बात हुई. टीम ने लाजपत पार्क का भी निरीक्षण किया. टीम ने इस दौरान बरारी हाउसिंग बोर्ड और आनंदगढ़ के पास बने जल मीनार को भी देखा और इस जगह पर जल्द बोरिंग करने का निर्देश दिया.
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के गाद का खाद के रूप में होगा इस्तेमाल
निरीक्षण मेंं उनके साथ एडीबी की शालिनी पटवाल, बुडको के पीआरओ चंद्र भूषण व विजय कुमार शर्मा समेत बुडको और एजेंसी के इंजीनियर साथ थे. वे ट्रीट्रमेंट प्लांट से निकले रॉ वाटर जमा करने वाले प्लांट का निरीक्षण करने भी पहुंचे. टीम ने बताया कि ट्रीटमेंट प्लांट में जमने वाली गाद को एकत्र कर खाद के रूप में किसानों को दिया जायेगा और बचे पानी को गंगा में डाला जायेगा.
स्थायी निदान को लेकर भी की बात : एडीबी के अधिकारी ने पानी के स्थायी समाधान के बारे में जानकारी ली और कहा कि इससे आगे से पानी स्थायी तौर पर क्यों नहीं आ सकता. उन्होंने कहा कि अभी पानी लाने की योजना पर बहुत राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन फिर भी कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल पाये हैं.
जबकि प्रत्येक साल ऐसी परेशानी होती है. पिछले साल भी निरीक्षण के दौरान पानी की ही समस्या थी.
फिल्टर बेड नहीं बदले जाने का पूछा कारण : इस दौरान प्रोजेक्ट हेड ने वर्क्स में चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में ही उन्हाेंने ज्वैल और पिटरसन के फिल्टर के फिल्टर बेड बदलने की बात पूछी. साथ ही जल्द इन्हें बदलने का भी निर्देश दिया.
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