- सहकारिता विभाग की सहयोग समिति की निबंधक रचना पाटिल ने जारी की चिट्ठी
- एके मिश्रा एंड एसोसिएट पर वर्ष 2003 के बाद समिति का लेनदेन छिपाने का आरोप
- एजी ने भी सीए फर्म पर ऑडिटिंग स्टैंडर्ड के उल्लंघन पर नहीं ध्यान देने की दी थी रिपोर्ट
- सीए फर्म एके मिश्रा एंड एसोसिएट के अपने पार्टनर सीए पुर्नेन्दु कुमार की गलती का दिया था तर्क :
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सृजन घोटाला : 1900 करोड़ का ट्रांजेक्शन छिपाने का आरोप, ब्लैक लिस्टेड
ऋिष, भागलपुर : सहकारिता विभाग ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति के ऑडिटर रहे सीए फर्म एके मिश्रा एंड एसोसिएट को 30 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश जारी किया है. उसपर सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते के ऑडिट में करीब 1900 करोड़ रुपये के अवैध व गैरकानूनी कारोबार को छिपाने […]
ऋिष, भागलपुर : सहकारिता विभाग ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति के ऑडिटर रहे सीए फर्म एके मिश्रा एंड एसोसिएट को 30 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश जारी किया है. उसपर सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते के ऑडिट में करीब 1900 करोड़ रुपये के अवैध व गैरकानूनी कारोबार को छिपाने के गंभीर आरोप को सही पाया.
सृजन घोटाले के बाद इस सीए फर्म पर विभागीय स्तर पर सुनवाई चल रही थी. इन सुनवाई में विभाग की विशेष ऑडिट टीम की रिपोर्ट को शामिल किया गया. वर्ष 2003-4 से 2015-16 के बीच सृजन समिति के खाते से 18,97,95,08,159.60 रुपये की सरकारी राशि का अवैध व गैरकानूनी हस्तांतरण हुआ.
आरोपित सीए फर्म ने अपने वर्ष 2003-4 से 2015-16 तक सृजन समिति के ऑडिट में उक्त राशि का कोई उल्लेख नहीं किया. इस तरह गलत तथ्य छिपाने का प्रयास हुआ और सृजन जैसा महा घोटाला सामने आया. सहकारिता विभाग के सहयोग समिति निबंधक रचना पाटिल ने उक्त सीए फर्म को विभागीय पैनल में से बहिष्कृत करते हुए 30 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड करने की चिट्ठी जारी कर दी.
फर्म के खिलाफ अहम टिप्पणी
महालेखाकार: सीए फर्म एके मिश्रा एंड एसोसिएट ने सृजन समिति का वर्ष 2003-4 से 2015-16 के बीच ऑडिट किया. समिति की बैलेंसशीट से पता चलता है कि राजस्व क्रियाकलाप के तौर पर बैंकिंग गतिविधि का काम हो रहा है.
इस कारण संबंधित सीए फर्म ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंस ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) के अकाउंटिंग व ऑडिटिंग के मानक का उल्लंघन किया. उनके द्वारा कभी यह चेक नहीं किया गया कि समिति की बैंकिंग गतिविधि के वाउचर बगैर आरबीआइ से लाइसेंस के इस्तेमाल किये गये.
विभागीय विशेष अंकेक्षण टीम
सृजन समिति का वैधानिक अंकेक्षण वर्षांत 2003 के बाद से आरोपित सीए फर्म कर रही थी. इस फर्म ने अपने वार्षिक अंकेक्षण में सृजन के सभी खाते के लेन-देन को जानबूझकर अंकेक्षण में शामिल नहीं किया.
सहकारिता विभाग की सुनवाई में पटना के बोरिंग रोड स्थित नामचीन सीए फर्म एके मिश्रा एंड एसोसिएट ने तर्क दिया कि कार्य विस्तार को देखते हुए सीए पुर्नेन्दु कुमार सृजन समिति की ऑडिट की थी. फर्म ने उक्त सीए से पार्टनरशिप किया था. तर्क दिया कि उक्त सीए पुर्नेन्दु कुमार की गलती के कारण उन्हें बहिष्कृत कर काली सूची में डाल दिया गया.
इस कार्रवाई से उनका हित प्रभावित हो रहा है और अक्तूबर 2017 के बाद उनका काम बंद हो गया है. फर्म से जुड़े अन्य पार्टनर की जीविका पर असर पड़ा है. उनके इस तर्क को आइसीएआइ के पटना शाखा के चेयरमैन से जवाब मांगा गया. आइसीएआइ ने द इंडियन पार्टनरशिप एक्ट 1932 के सेक्शन-26 के तहत पार्टनर की जवाबदेही को फर्म की भी जवाबदेही के तौर पर करार दिया.
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