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सृजन घोटाला : देवाशीष ने दिखायी थी हिम्मत और जयश्री के कारनामे का हुआ था खुलासा, ”रेलवे लाइन” से गुजर सृजनहार बनीं जयश्री

भागलपुर : भागलपुर : सृजन घोटाले के अपराध में कई छोटी-मोटी दुकानें शो-रूम बन गयीं, तो ऊपर से समाज के हितकारी का दिखावा करनेवाले अट्टालिकाओं के मालिक बन गये. जयश्री ठाकुर की कहानी भी सृजन महिला विकास सहयोग समिति की काली कोठरी से जुड़ी होने बात बयां करती है. ‘रेलवे लाइन’ से गुजरते हुए बांका […]

भागलपुर : भागलपुर : सृजन घोटाले के अपराध में कई छोटी-मोटी दुकानें शो-रूम बन गयीं, तो ऊपर से समाज के हितकारी का दिखावा करनेवाले अट्टालिकाओं के मालिक बन गये. जयश्री ठाकुर की कहानी भी सृजन महिला विकास सहयोग समिति की काली कोठरी से जुड़ी होने बात बयां करती है. ‘रेलवे लाइन’ से गुजरते हुए बांका की तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर सृजनहार बन गयी थीं.

दरअसल जयश्री के कारनामे की कहानी तबसे लोग जानने लगे थे, जब 10 अप्रैल 2012 को उनके दफ्तर में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने ट्रैप किया था. यह ट्रैप नहीं हो पाता, अगर बांका के देवाशीष नाम के व्यक्ति ने हिम्मत न दिखायी होती. हुआ यह था कि उस समय बांका से कटोरिया होते हुए देवघर तक रेलवे लाइन का निर्माण कार्य होना था.

इस रास्ते पर जिन लोगों की भी जमीन थी, सरकार उसे खरीद (अधिग्रहण) रही थी. बांका में पड़नेवाले रेलवे लाइन के हिस्से का अधिग्रहण का जिम्मा बांका के भू-अर्जन कार्यालय के पास था. तकरीबन 600 जमीन मालिक को उनकी जमीन के पैसे का भुगतान होना था. इसमें देवाशीष की भी जमीन थी. देवाशीष ने निगरानी को शिकायत की थी कि भू-अर्जन कार्यालय में बैंक ऑफ बड़ौदा का चेक बना हुआ है.

गौरतलब है कि सृजन संस्था के जरिये जो घोटाले का खुलासा हुआ है, वह बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थित खाते से भी संबंधित है. यह चेक उन्हें देने के लिए भुगतान का 12 प्रतिशत घूस जयश्री ठाकुर द्वारा मांगे जाने का आरोप लगाया गया था. निगरानी ने इसकी पुष्टि करायी और 10 अप्रैल 2012 को बांका के भू-अर्जन कार्यालय में ट्रैप किया.

वहां भू-अर्जन कार्यालय के कानूनगो किशुन प्रसाद मेहता 3.74 लाख रुपये घूस लेते रंगेहाथ दबोच लिये गये. मेहता ने स्वीकारा था कि इसमें 3.24 लाख मैडम (जयश्री ठाकुर) और शेष उनका है. मेहता को तीन वर्ष की सजा हुई और 60 हजार का जुर्माना लगा. नौकरी से बर्खास्त भी कर दिये गये. दूसरी ओर आर्थिक अपराध इकाई ने जयश्री ठाकुर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का खुलासा किया और सृजन में उसके पैसे जमा मिले.

रिश्तेदारी पर जुर्म भारी पड़ गयी

मनोरमा देवी सृजन की संस्थापक थी. महिलाओं के रोजगार का सृजन करने के उद्देश्य से शुरू हुई संस्था धीरे-धीरे आर्थिक अपराध की ओर बढ़ गयी. मनोरमा देवी खुद तो जुर्म कर ही रही थी, साथ ही धीरे-धीरे जुर्म करने की सारी तकनीक का प्रशिक्षण अपने बेटे-बहू को भी दे दिया. दूसरी ओर जयश्री ठाकुर मामले को लेकर जांच में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज कुमार झा को लगाया गया था. चर्चा है कि जयश्री ठाकुर और पंकज कुमार झा दूर के रिश्तेदार हैं. जांच रिपोर्ट में पंकज कुमार झा द्वारा जयश्री को क्लीन चिट दे देने की बात कही जाती है.

83.10 करोड़ के गबन में बनायी गयीं आरोपित

बांका के भू-अर्जन पदाधिकारी आदित्य नारायण झा ने बांका थाना में वर्ष 2009-13 के 83.10 करोड की सरकारी राशि के गबन का प्राथमिकी कांड संख्या 505/17 के तहत धारा 420/409/467/468/471, 120 के अधीन दर्ज की थी. इस मामले में तत्कालीन भू -अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के अलावा भागलपुर के बैंक आॅफ बड़ौदा व इंडियन बैंक के मैनेजर, सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदाधिकारी व संबंधित कर्मी को आरोपित बनाया गया था. एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम द्वारा बांका भू-अर्जन कार्यालय की जांच शुरू कर दी गयी थी. बताया जा रहा है कि तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी ने 2009-13 में भागलपुर के बैंक आॅफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक में बांका भू-अर्जन विभाग का दो खाता खोल रखा था. बाद में सृजन मामले की जांच सीबीआइ के जिम्मे चले जाने के बाद से सीबीआइ ही इसकी पड़ताल में जुटी हुई है.

सामान्य प्रशासन को कार्रवाई से कराया गया अवगत

भागलपुर. जिला स्तर पर करोड़ों के राशि गबन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर होनेवाली कार्रवाई से सामान्य प्रशासन को अवगत कराया गया. डीएम प्रणव कुमार के निर्देश पर जिला लेखा पदाधिकारी राजेंद्र चंद्रवंशी ने सोमवार को विभिन्न प्रकार के कागजात को सामान्य प्रशासन के अवर सचिव रामबिशुन राय को सौंपा. लेखा पदाधिकारी के साथ संबंधित घोटाले से प्रभावित विभाग के एक-एक कर्मी भी गये थे. सामान्य प्रशासन को घोटाले के आरोपित पर चल रही विभागीय कार्रवाई के बारे में जानकारी दी गयी.

जयश्री ठाकुर का बांका से भी जुड़ा है गबन का तार

बांका. सृजन घोटाला का उद्भेन के बाद जयश्री का नाम एकाएक सामने आ गया. तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर ने बौंसी स्थित सीएम कॉलेज के समीप कुराबा गांव में 100 एकड़ भूमि में से कुछ हिस्सा अपने रिश्तेदार के हाथों औने-पौने दाम में खरीद कर, जमीन को फूडपार्क के लिए चिह्नित कर दिया. लिहाजा, फूड पार्क के बदले अपने रिश्तेदार को करोड़ों का मुआवजा दिलवा दिया. इस बाबत कुछ ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी की थी. इस खरीद-फरोख्त से जयश्री ठाकुर की प्रॉपटी में काफी वृद्धि हुई थी, जिसपर नजर आयक विभाग को भी पड़ गयी थी. अंतत: वर्ष 2013 में आयकर विभाग के आर्थिक मामले के अधिकारियों ने जयश्री के मायके बौंसी के ब्रह्पुर सहित तिलकामांझी स्थित फ्लैट पर एक साथ छापामारी की. जिसमें 20 करोड़ की से अधिक संपत्ति आकलन किया गया.

भागलपुर : आपत्ति के बाद भी जयश्री ने खाता खाेलवाया

भागलपुर : भू-अर्जन पदाधिकारी आदित्य नारायण झा ने बांका थाने में वर्ष 2009-13 के तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर, प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक भागलपुर व सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदाधिकारी व संबंधित कर्मी के ऊपर 83.10 करोड़ की सरकारी राशि के गबन की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी ने 2009-13 में भागलपुर के बैंक ऑफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक में बांका भू-अर्जन विभाग का दो खाता खोल रखा था, जहां से उस वक्त 77 करोड़ की राशि अस्थायी गबन और 6 करोड़ 10 लाख की राशि का स्थायी गबन किया गया. इस मामले को लेकर बांका थाने में कांड संख्या 505/17 के तहत धारा 420/409/467/468/471,120 के अधीन चारों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी.

तत्कालीन नाजिर मो अनीस अंसारी, सेवानिवृत्त लिपिक के आरोप. मो अनीस अंसारी ने बताया कि बीओबी में भागलपुर में बिना मेरी सहमति के तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर ने स्वयं खाता खुलवा लिया था. खाता खुलवाने के पश्चात मुझे पासबुक और चेक बुक उपलब्ध करा दिया गया था. मैंने इस कार्यालय में वर्ष 2002 से ही कार्यरत था, जिसमें जिला के बाहर एक भी खाता नहीं खोला गया. तभी जिला के बाहर खाता खोलने को लेकर आपत्ति भी की थी, मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

खाता खुलवाने के बाद कुल चार चेक वॉल्यूम आरोपित जय श्री ठाकुर ने दिये थे. इस खाता का चेक बुक सीरीज संख्या-532551 से 532600, 552041 से 552060 व 552061 से 552080 और 617501 से 617550 प्राप्त हुए. चेक बुक मिलने के बाद घोटाले का उजागर होने तक तत्कालीन नाजिर बीओबी नहीं गया.

आरोपित जय श्री ठाकुर ने वर्ष 2011 में इंडियन बैंक भागलपुर में खाता खुलवाया था. इस खाते का चेक बुक सीरीज 401401 से 401425 दिया गया था.

41 चेक से ऐसे लेन-देन हुए, जिसका ब्योरा भू अर्जन कार्यालय बांका को भी नहीं पता. भू अर्जन कार्यालय बांका में सृजन घोटाले के तहत राशि गबन का अता-पता भी नहीं था. 41 चेकों से राशि गबन हुआ, जिसकी संख्या-24851 से 24891 थे.

यह थी भू अर्जन बांका में राशि गबन की जांच रिपोर्ट

तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर ने भू अर्जन कार्यालय के कई बैंक खाते अनावश्यक रूप से संधारित किये थे और विभिन्न बैंकों, सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में अनेकों बार करोड़ों रुपये की राशि का अवैध अंतर हस्तांतरण किया. इस दौरान 30 करोड़ की राशि का अस्थायी गबन महज 13 दिनों के लिए भी हुआ.

इंडियन बैंक के खाते से आरोपित ने सृजन समिति संचालिका मनोरमा देवी के साथ मिल कर कुल पांच करोड़ 10 लाख रुपये गबन कर लिया गया.

दरअसल जयश्री के कारनामे की कहानी तबसे लोग जानने लगे थे, जब 10 अप्रैल 2012 को उनके दफ्तर में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने ट्रैप किया था. यह ट्रैप नहीं हो पाता, अगर बांका के देवाशीष नाम के व्यक्ति ने हिम्मत न दिखायी होती. हुआ यह था कि उस समय बांका से कटोरिया होते हुए देवघर तक रेलवे लाइन का निर्माण कार्य होना था.
इस रास्ते पर जिन लोगों की भी जमीन थी, सरकार उसे खरीद (अधिग्रहण) रही थी. बांका में पड़नेवाले रेलवे लाइन के हिस्से का अधिग्रहण का जिम्मा बांका के भू-अर्जन कार्यालय के पास था. तकरीबन 600 जमीन मालिक को उनकी जमीन के पैसे का भुगतान होना था. इसमें देवाशीष की भी जमीन थी. देवाशीष ने निगरानी को शिकायत की थी कि भू-अर्जन कार्यालय में बैंक ऑफ बड़ौदा का चेक बना हुआ है. गौरतलब है कि सृजन संस्था के जरिये जो घोटाले का खुलासा हुआ है, वह बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थित खाते से भी संबंधित है.
यह चेक उन्हें देने के लिए भुगतान का 12 प्रतिशत घूस जयश्री ठाकुर द्वारा मांगे जाने का आरोप लगाया गया था. निगरानी ने इसकी पुष्टि करायी और 10 अप्रैल 2012 को बांका के भू-अर्जन कार्यालय में ट्रैप किया. वहां भू-अर्जन कार्यालय के कानूनगो किशुन प्रसाद मेहता 3.74 लाख रुपये घूस लेते रंगेहाथ दबोच लिये गये.
मेहता ने स्वीकारा था कि इसमें 3.24 लाख मैडम (जयश्री ठाकुर) और शेष उनका है. मेहता को तीन वर्ष की सजा हुई और 60 हजार का जुर्माना लगा. नौकरी से बर्खास्त भी कर दिये गये. दूसरी ओर आर्थिक अपराध इकाई ने जयश्री ठाकुर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का खुलासा किया और सृजन में उसके पैसे जमा मिले.
रिश्तेदारी पर जुर्म भारी पड़ गयी
मनोरमा देवी सृजन की संस्थापक थी. महिलाओं के रोजगार का सृजन करने के उद्देश्य से शुरू हुई संस्था धीरे-धीरे आर्थिक अपराध की ओर बढ़ गयी. मनोरमा देवी खुद तो जुर्म कर ही रही थी, साथ ही धीरे-धीरे जुर्म करने की सारी तकनीक का प्रशिक्षण अपने बेटे-बहू को भी दे दिया. दूसरी ओर जयश्री ठाकुर मामले को लेकर जांच में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज कुमार झा को लगाया गया था. चर्चा है कि जयश्री ठाकुर और पंकज कुमार झा दूर के रिश्तेदार हैं. जांच रिपोर्ट में पंकज कुमार झा द्वारा जयश्री को क्लीन चिट दे देने की बात कही जाती है.
83.10 करोड़ के गबन में बनायी गयीं आरोपित
बांका के भू-अर्जन पदाधिकारी आदित्य नारायण झा ने बांका थाना में वर्ष 2009-13 के 83.10 करोड की सरकारी राशि के गबन का प्राथमिकी कांड संख्या 505/17 के तहत धारा 420/409/467/468/471, 120 के अधीन दर्ज की थी. इस मामले में तत्कालीन भू -अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के अलावा भागलपुर के बैंक आॅफ बड़ौदा व इंडियन बैंक के मैनेजर, सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदाधिकारी व संबंधित कर्मी को आरोपित बनाया गया था.
एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम द्वारा बांका भू-अर्जन कार्यालय की जांच शुरू कर दी गयी थी. बताया जा रहा है कि तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी ने 2009-13 में भागलपुर के बैंक आॅफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक में बांका भू-अर्जन विभाग का दो खाता खोल रखा था. बाद में सृजन मामले की जांच सीबीआइ के जिम्मे चले जाने के बाद से सीबीआइ ही इसकी पड़ताल में जुटी हुई है.
सामान्य प्रशासन को कार्रवाई से कराया गया अवगत
भागलपुर. जिला स्तर पर करोड़ों के राशि गबन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर होनेवाली कार्रवाई से सामान्य प्रशासन को अवगत कराया गया. डीएम प्रणव कुमार के निर्देश पर जिला लेखा पदाधिकारी राजेंद्र चंद्रवंशी ने सोमवार को विभिन्न प्रकार के कागजात को सामान्य प्रशासन के अवर सचिव रामबिशुन राय को सौंपा. लेखा पदाधिकारी के साथ संबंधित घोटाले से प्रभावित विभाग के एक-एक कर्मी भी गये थे. सामान्य प्रशासन को घोटाले के आरोपित पर चल रही विभागीय कार्रवाई के बारे में जानकारी दी गयी.
जयश्री ठाकुर का बांका से भी जुड़ा है गबन का तार
बांका. सृजन घोटाला का उद्भेन के बाद जयश्री का नाम एकाएक सामने आ गया. तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर ने बौंसी स्थित सीएम कॉलेज के समीप कुराबा गांव में 100 एकड़ भूमि में से कुछ हिस्सा अपने रिश्तेदार के हाथों औने-पौने दाम में खरीद कर, जमीन को फूडपार्क के लिए चिह्नित कर दिया.
लिहाजा, फूड पार्क के बदले अपने रिश्तेदार को करोड़ों का मुआवजा दिलवा दिया. इस बाबत कुछ ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी की थी. इस खरीद-फरोख्त से जयश्री ठाकुर की प्रॉपटी में काफी वृद्धि हुई थी, जिसपर नजर आयक विभाग को भी पड़ गयी थी. अंतत: वर्ष 2013 में आयकर विभाग के आर्थिक मामले के अधिकारियों ने जयश्री के मायके बौंसी के ब्रह्पुर सहित तिलकामांझी स्थित फ्लैट पर एक साथ छापामारी की. जिसमें 20 करोड़ की से अधिक संपत्ति आकलन किया गया.
भागलपुर : आपत्ति के बाद भी जयश्री ने खाता खाेलवाया
भागलपुर : भू-अर्जन पदाधिकारी आदित्य नारायण झा ने बांका थाने में वर्ष 2009-13 के तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर, प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक भागलपुर व सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदाधिकारी व संबंधित कर्मी के ऊपर 83.10 करोड़ की सरकारी राशि के गबन की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी ने 2009-13 में भागलपुर के बैंक ऑफ बड़ौदा एवं इंडियन बैंक में बांका भू-अर्जन विभाग का दो खाता खोल रखा था, जहां से उस वक्त 77 करोड़ की राशि अस्थायी गबन और 6 करोड़ 10 लाख की राशि का स्थायी गबन किया गया. इस मामले को लेकर बांका थाने में कांड संख्या 505/17 के तहत धारा 420/409/467/468/471,120 के अधीन चारों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी.
तत्कालीन नाजिर मो अनीस अंसारी, सेवानिवृत्त लिपिक के आरोप. मो अनीस अंसारी ने बताया कि बीओबी में भागलपुर में बिना मेरी सहमति के तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर ने स्वयं खाता खुलवा लिया था. खाता खुलवाने के पश्चात मुझे पासबुक और चेक बुक उपलब्ध करा दिया गया था. मैंने इस कार्यालय में वर्ष 2002 से ही कार्यरत था, जिसमें जिला के बाहर एक भी खाता नहीं खोला गया. तभी जिला के बाहर खाता खोलने को लेकर आपत्ति भी की थी, मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
खाता खुलवाने के बाद कुल चार चेक वॉल्यूम आरोपित जय श्री ठाकुर ने दिये थे. इस खाता का चेक बुक सीरीज संख्या-532551 से 532600, 552041 से 552060 व 552061 से 552080 और 617501 से 617550 प्राप्त हुए. चेक बुक मिलने के बाद घोटाले का उजागर होने तक तत्कालीन नाजिर बीओबी नहीं गया.
आरोपित जय श्री ठाकुर ने वर्ष 2011 में इंडियन बैंक भागलपुर में खाता खुलवाया था. इस खाते का चेक बुक सीरीज 401401 से 401425 दिया गया था.41 चेक से ऐसे लेन-देन हुए, जिसका ब्योरा भू अर्जन कार्यालय बांका को भी नहीं पता. भू अर्जन कार्यालय बांका में सृजन घोटाले के तहत राशि गबन का अता-पता भी नहीं था. 41 चेकों से राशि गबन हुआ, जिसकी संख्या-24851 से 24891 थे.
यह थी भू अर्जन बांका में राशि गबन की जांच रिपोर्ट
तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर ने भू अर्जन कार्यालय के कई बैंक खाते अनावश्यक रूप से संधारित किये थे और विभिन्न बैंकों, सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में अनेकों बार करोड़ों रुपये की राशि का अवैध अंतर हस्तांतरण किया. इस दौरान 30 करोड़ की राशि का अस्थायी गबन महज 13 दिनों के लिए भी हुआ.
इंडियन बैंक के खाते से आरोपित ने सृजन समिति संचालिका मनोरमा देवी के साथ मिल कर कुल पांच करोड़ 10 लाख रुपये गबन कर लिया गया.

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