भागलपुर : सैयद शाह अली सज्जाद के कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी में कई तरह की बात हो रही हैं. पार्टी के वरीय नेता इसे लेकर कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं. पूरे मामले सैयद शाह अली सज्जाद ने कहा कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. पार्टी नहीं छोड़ी है. मरते दम तक कांग्रेस के कार्यकर्ता बन कर काम करते रहेंगे. उन्होंने बताया कि सम्मान खोकर अध्यक्ष पद पर बने रहना मुश्किल है. पटना में हुई पार्टी रैली के दौरान ही विधायक सदानंद सिंह को अध्यक्ष पद से इस्तीफा सौंप दिया.
इसकी जानकारी कांग्रेस कमेटी के आला अधिकारी को भी दी गयी है. उन्होंने बताया कि रैली के लिए जो काम की जिम्मेदारी दी गयी थी, उसे ईमानदारी पूर्वक निभाया. रैली के लिए यहां से बस भी ले गये थे, लेकिन रैली में उन्हें सम्मान नहीं दिया गया. रैली के लिए दो मंच बनाया गया था. एक मंच पर पार्टी के वरीय नेता बैठे थे. दूसरे मंच पर जिला स्तर के अध्यक्ष व अन्य नेता को बैठाया गया था.
दूसरे मंच पर बैठने के लिए पास जारी किये गये थे. पास नहीं मिलने के कारण आम लोगों की तरह साढ़े तीन घंटा तक खड़े होकर नेताओं का भाषण सुना. इसी क्रम में कांग्रेस कार्यालय से फोन आया कि मंच पर बैठने के लिए आकर पास ले जाये. कार्यक्रम होने से काफी लेट हो चुका था. ऐसे में पास लेना व न लेना बराबर था. कार्यक्रम के समापन के बाद सभी जिलाध्यक्ष से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को मिलाया गया, लेकिन उन्हें मिलने का मौका नहीं दिया गया.
जब कार्यक्रम समाप्त हो चुका था, पार्टी के वरीय नेता आपस में कार्यक्रम को लेकर बात-विचार कर रहे थे. इसी दौरान एक नेता ने उनके लिए गलत शब्दों का उपयोग किया गया. ऐसे में कोई भी आदमी सम्मान खोकर अध्यक्ष पद के लिए क्यों बना रहना चाहेगा. वहीं, पार्टी के जिला उपाध्यक्ष गिरिश प्रसाद सिंह अली सज्जाद के समर्थन में सामने आये हैं. उन्होंने बताया कि उनके समक्ष ही सारी बात हुई है. पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है. पार्टी में गुटबाजी का लोकसभा चुनाव पर असर पड़ सकता है.