भागलपुर : दलों के दफ्तरों में जुट रही भीड़, कोसी-पूर्व बिहार में होने लगी दावेदारी की चर्चा

भागलपुर : कोसी-पूर्व बिहार के 13 जिलों की 11 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव की तिथि की घोषणा के दूसरे दिन राजनीतिक दलों के कार्यालयों में भीड़ दिखनी शुरू हो गयी. इसके साथ ही उम्मीदवारों की दावेदारी को लेकर भी चर्चा ने जोड़ पकड़ लिया है. गांवों में चौपालों तक चुनाव की चर्चा पहुंच चुकी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2019 7:02 AM
भागलपुर : कोसी-पूर्व बिहार के 13 जिलों की 11 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव की तिथि की घोषणा के दूसरे दिन राजनीतिक दलों के कार्यालयों में भीड़ दिखनी शुरू हो गयी. इसके साथ ही उम्मीदवारों की दावेदारी को लेकर भी चर्चा ने जोड़ पकड़ लिया है. गांवों में चौपालों तक चुनाव की चर्चा पहुंच चुकी है.
इसके विपरीत शहरों में आमलोग उदासीन बने हुए हैं.कोसी-पूर्व बिहार के पूर्णिया, मधेपुरा, भागलपुर, कटिहार, बांका व मुंगेर सीट पर ज्यादा गहमागहमी है. खगड़िया, मुंगेर व किशनगंज जैसे लोकसभा क्षेत्र परिसीमन के कारण वोट बटोरने के लिहाज से टफ माना जाता है. लखीसराय व सहरसा जिले के वोटर दो लोकसभा क्षेत्रों में बंटे होने के कारण अपने को अलग-थलग मान रहे हैं.
मामला यहां दल से ज्यादा व्यक्ति पर निर्भर दिख रहा है. पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें पूर्णिया, रूपौली, कसबा, धमदाहा, बनमनखी (सु) और कोढ़ा (सु) शामिल हैं. 1952 से 1971 तक यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. अब तक यहां से लगातार कोई भी प्रत्याशी अधिकतम दो बार ही अपनी जीत दर्ज कर पाये हैं.
चर्चा की मानें तो राजनीतिक गोलबंदी यहां थोड़ी टेढ़ी हो गयी है. खगड़िया संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें खगड़िया जिले के चार विधानसभा क्षेत्र अलौली, खगड़िया, बेलदौर, परवत्ता के अलावा सहरसा जिले का सिमरी बख्तियारपुर व समस्तीपुर जिले का हसनपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल है.
यहां अभी से जातीय वोटों की गोलबंदी पर चर्चा होने लगी हैं. कटिहार संसदीय क्षेत्र में आम लोगों के साथ-साथ सियासी दलों में भी आपसी सद्‌भाव और भाईचारा का माहौल दिखता है. यहां के वोटर इस बार भी विकास व शांति को केंद्र में रखकर ही मतदान करने की बात कर रहे हैं. मधेपुरा लोकसभा के परिणाम हमेशा चौंकानेवाले रहे हैं. इस बार भी व्यक्ति नहीं, दल को तरजीह देने की बात कही जा रही है. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद लोकसभा क्षेत्र की सूरत बदली है.

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