टीएमबीयू के बजट पर सरकार की आपत्ति

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार को भेजे गये वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट पर सरकार ने आपत्ति जतायी है. बजट में आय-व्यय में व्याप्त विसंगतियों के निराकरण के लिए सचिव राहुल सिंह ने विश्वविद्यालय को पत्र प्रेषित किया है. सचिव ने बीएन मंडल विश्वविद्यालय को छोड़ कर राज्य के सभी आठ विश्वविद्यालयों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2014 9:23 AM

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार को भेजे गये वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट पर सरकार ने आपत्ति जतायी है. बजट में आय-व्यय में व्याप्त विसंगतियों के निराकरण के लिए सचिव राहुल सिंह ने विश्वविद्यालय को पत्र प्रेषित किया है.

सचिव ने बीएन मंडल विश्वविद्यालय को छोड़ कर राज्य के सभी आठ विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र भेजा है. इसमें बजट में विसंगतियों को दूर करने के लिए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के लिए शिक्षा विभाग के सचिव के कार्यालय में 21 जुलाई को बैठक आयोजित की गयी है. बैठक में विश्वविद्यालय के वित्तीय परामर्शी, वित्त पदाधिकारी, बजट पदाधिकारी, उपकुलसचिव, प्रशाखा पदाधिकारी को संबंधित अभिलेख के साथ उपस्थित होने को कहा गया है. बजट पर आपत्ति जताते हुए सचिव ने कहा है कि स्वीकृत बल व कार्यरत बल में अंतर पाया गया है.

कुछ कर्मी के नाम में भी अंतर पाया गया है. सचिव ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत किये गये वेतनमान से अधिक वेतनमान अनुमान्य किये जाने की शक्ति विश्वविद्यालय के किसी भी प्राधिकार या समिति और अधिकारी को नहीं है. ऐसे में सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि किसी भी परिस्थिति में अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध किसी भी कर्मी को उच्च स्तरीय वेतनमान में वेतनादि का प्रावधान बजट में नहीं किया जा रहा है.

बावजूद इसके शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मियों के मूल वेतन को निर्धारित उच्चतम वेतनमान से भी अधिक अंकित करते हुए राशि की मांग किया जाना विधिसम्मत नहीं है. राज्य सेवी वर्ग के चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को तृतीय वर्ग में सीधी प्रोन्नति दिये जाने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन विश्वविद्यालय मुख्यालय सहित कतिपय महाविद्यालय में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को तृतीय वर्गीय कर्मचारियों के पदों पर प्रोन्नति दी गयी है. सचिव ने इसे विभागीय प्रावधानों के सर्वथा प्रतिकूल बताया है. सचिव ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय के बजट को पारित किया जाना और उसके अनुरूप राशि स्वीकृत किया जाना लेखा-जोखा करने व स्थापित वित्तीय प्रबंधन के मापदंडों के अनुसार विधिसम्मत प्रतीत नहीं होता.

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