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न्यायालय परिसर में खुलेगी डिस्पेंसरी डॉक्टर,नर्स व दवा भी उपलब्ध होगी

पहल : सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लिया निर्णय भागलपुर : न्यायालय परिसर में स्वास्थ्य सुविधा का विस्तार होने जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग परिसर में डिस्पेंसरी खोलने जा रहा है. यहां डॉक्टर, नर्स के साथ दवा उपलब्ध होगी. कोर्ट के दौरान किसी को हेल्थ से जुड़ी परेशानी होने पर प्राथमिक […]

पहल : सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लिया निर्णय

भागलपुर : न्यायालय परिसर में स्वास्थ्य सुविधा का विस्तार होने जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग परिसर में डिस्पेंसरी खोलने जा रहा है. यहां डॉक्टर, नर्स के साथ दवा उपलब्ध होगी. कोर्ट के दौरान किसी को हेल्थ से जुड़ी परेशानी होने पर प्राथमिक इलाज बेहतर तरीके से हो सकेगा. स्वास्थ्य विभाग सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यह कार्य करने जा रहा है. डिस्पेंसरी खोलने का निर्देश सरकार के विशेष सचिव राधेश्याम साह ने इसे जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश जारी किया है. सूबे के 38 जिले में जिला सत्र न्यायालय परिसर में यह सुविधा उपलब्ध होगी.

डिस्पेंसरी में तैनात होंगे चिकित्सा पदाधिकारी, जांच करेंगे फार्मासिस्ट : न्यायालय परिसर में आरंभ होने जा रहे डिस्पेंसरी में जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी. मरीज का इलाज करने चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. सहायता के लिए स्टाफ नर्स तैनात होंगी. जांच के लिए फार्मासिस्ट, प्रयोगशाला प्रौवैद्यिकी और निम्नवर्गीय लिपिक नियुक्त होंगे. एक डिस्पेंसरी में मरीजों के इलाज में पांच लोग कार्यरत होंगे. जांच घर के संसाधन उपलब्ध होगा. डिस्पेंसरी को लेकर मिले आदेश के बाद छह दिसंबर 2018 को मुख्य सचिव ने इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर करने को कहा था. बाद पद की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है.

इस सेवा पर करीब 10 करोड़ होगा खर्च : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश उपरांत सूबे में खुलने वाली 38 डिस्पेंसरी पर सरकार को प्रति वर्ष 9 करोड़ 63 लाख 39 हजार रुपया खर्च होगा. राशि निकासी व व्ययन पदाधिकारी सिविल सर्जन होंगे. नियंत्री पदाधिकारी निदेशक प्रमुख प्रशासन स्वास्थ्य सेवा बिहार होंगे. डिस्पेंसरी में पदों का सृजन मंत्री परिषद की स्वीकृति प्राप्त है. इस खर्च में सभी कर्मी का वेतन समेत अन्य सुविधाएं शामिल हैं.

अभी तैनात होते हैं एक डॉक्टर: वर्तमान में कोर्ट समयावधि में सदर अस्पताल से डॉक्टर और पैथोलाॅजिस्ट को ड्यूटी पर लगाया जाता है. कोर्ट अवधि खत्म होने के बाद ही वह बाहर आते हैं. स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी अगर इस दौरान किसी को होती है, तो यहीं प्राथमिक इलाज करते हैं. गंभीर परिस्थिति में एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल में मरीज को लाया जाता है.

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