भागलपुर/मधुपुर : इसरो ने चंद्रयान-2 का सफल परीक्षण कर इतिहास रच दिया. चंद्रयान-2 के सफल अभियान में करौं प्रखंड के पाथरोल निवासी युवा वैज्ञानिक अमरदीप कुमार का भी शामिल रहे. अमरदीप ने मैट्रिक की पढ़ाई अपने पैतृक गांव पाथरोल उच्च विद्यालय से वर्ष 1998 में पूरी की थी.
इसके बाद एएस कॉलेज सत्संग वर्ष 2000 में इंटर विज्ञान संकाय में प्रथम श्रेणी से सफलता प्राप्त कर वे पटना इंजीनियरिंग के तैयारी के लिए गये. एक वर्ष की कोचिंग व कड़ी परिश्रम के बाद उन्हें भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिला. वर्ष 2007 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की.
वर्ष 2007 में ही इन्होंने साइंटिस्ट इंट्री टेस्ट ‘सेट’ की परीक्षा दिया. परीक्षा में सफलता पाने के बाद ‘इसरो’ में वैज्ञानिक के लिए चुने गयें. 2007 से ही बतौर वैज्ञानिक इसरो कार्यरत है. इस दौरान इन्हें डॉ एपीजे अबुल कलाम आजाद, इसरो चैयरमेन डॉ. राधाकृष्णन समेत देश के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों के साथ मिलने और काम करने का मौका मिला.
इस सफलता से उनके माता-पिता समेत इलाके के लोग भी गौरवान्वित हैं. चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष में ले जाने वाले इसरो के सबसे भारी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल मार्च-3 के पहले चरण के प्रोजेक्ट ग्रुप में युवा वैज्ञानिक अमरदीप ने भी अहम भूमिका निभायी है.
इसके बाद वे दो साल इसरो के खर्च पर पढ़ाई के लिए बैंगलोर चले गये. अमरदीप 12 साल से इसरो से जुड़े हुए है. उन्होंने चंद्रयान-2 के पहले चरण में एल 110 में भी काम किया है. अमरदीप बताते हैं कि पाथरोल के विश्वकर्मा टोला जैसे छोटे से गांव से निकलकर इसरो ‘इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गनाइजेशन’ में इसरो में वैज्ञानिक तक का सफर तय करना किसी सपने के पूरे होने से कम नहीं है.
इसरो में रहते हुए इन्होंने ‘चंद्रयान’ मिशन, ‘जीएसएलवी’ मिशन, मार्स ऑर्बिइटल मिशन ‘ मंगल’ के अलावा चंद्रयान-2 आदि मिशन में काम करने का मौका मिला. अमरदीप ने बताया कि उन्होंने दो वर्ष की पढ़ाई पूरी कर ली है. इसके बाद अब अगला योजना गगनयान में काम करने की है.