33 % बच्चों की मौत क्यों, नहीं जानता विभाग

57 प्रतिशत बच्चे की, तो 43 प्रतिशत बच्चियों की हो रही है मौत छह माह में 481 मौत भागलपुर : सौ में 33 नवजात की मौत जिले में किस बीमारी से होती है, इसका पता स्वास्थ्य विभाग को नहीं है. पैंतीस प्रतिशत बच्चे की मौत घर में होती है. जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़े ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2019 2:49 AM

57 प्रतिशत बच्चे की, तो 43 प्रतिशत बच्चियों की हो रही है मौत

छह माह में 481 मौत
भागलपुर : सौ में 33 नवजात की मौत जिले में किस बीमारी से होती है, इसका पता स्वास्थ्य विभाग को नहीं है. पैंतीस प्रतिशत बच्चे की मौत घर में होती है. जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़े ने जिले में नवजात मृत्यु दर को लेकर रिपोर्ट दी है. सरकारी अस्पताल शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी से जूझ रहा है. सुविधा का समुचित प्रयोग हो इसके लिए अनुभवी डॉक्टर की घोर कमी है. जनवरी से जुलाई तक जिले में 481 बच्चों की मौत हो चुकी है. कहलगांव में सबसे ज्यादा तो सबसे कम इस्माइलपुर में नवजात की मौत हुई है.
विभाग मौत के कारणों का पता करने में असफल : जिला स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट की मानें तो 33 प्रतिशत बच्चों की मौत के कारणों को पता लगाने में विभाग विफल है. मौत का कारण क्या है इसका पता लगाने का प्रयास भी नहीं होता है. जबकि 24 प्रतिशत बच्चे की मौत जन्म के वक्त कमजोर होने से होती है. जन्म के समय नवजात को सांस लेने में परेशानी, संक्रमण समेत अन्य बीमारी होती है. ऐसे 11 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि, 18 प्रतिशत बच्चे दम घुटने से मर रहे हैं. यह आंकड़ा हैरान इसलिए भी कर ,रहा है क्योंकि शहर में मायागंज अस्पताल में एसएनसीयू, पीकू, नीकू वार्ड है, तो सदर में एसएनसीयू. निमोनिया जैसी बीमारी से भी जिले में नौ प्रतिशत बच्चे मर रहे हैं.

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