16 लाख घूस लेते िगरफ्तार अिभयंता को भेजा गया जेल

भागलपुर : रिश्वकांड में गिरफ्तार कटिहार में तैनात पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार को पटना से निगरानी की टीम भागलपुर स्थित प्रथम निगरानी कोर्ट सह प्रथम अपर मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार तिवारी की अदालत में मंगलवार को पेश किया. अदालत ने आरोपित को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में सेंट्रल जेल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2019 12:39 AM

भागलपुर : रिश्वकांड में गिरफ्तार कटिहार में तैनात पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार को पटना से निगरानी की टीम भागलपुर स्थित प्रथम निगरानी कोर्ट सह प्रथम अपर मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार तिवारी की अदालत में मंगलवार को पेश किया.

अदालत ने आरोपित को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में सेंट्रल जेल भागलपुर भेज दिया. पेशी में निगरानी की टीम ने जब्त 16 लाख रुपये भी कोर्ट में प्रस्तुत किये, इसमें दो हजार रुपये के छह बंडल तथा पांच सौ रुपये के आठ बंडल थे. पेशी से वापसी में जेल जाने के दौरान आरोपित अरविंद कुमार ने मीडिया केसामने भाजपा के विधान पार्षद अशोक अग्रवाल पर फंसाने का आरोप लगाया.

कहा कि उनके खिलाफ कई तरह के कागजात मुख्यालय को भेजा है. उन कागजात से कार्रवाई होने का डर था. संबंधित कागजात विभाग के प्रधान सचिव को भेजा है. उन्होंने पेशी में अदालत को बताया है कि विजिलेंस अधिकारियों ने उनके साथ हाथापाई की है. हालांकि, इस बारे में मौजूद विजिलेंस अधिकारियों ने खंडन किया और कहा कि मेडिकल करवाते हुए अदालत में रिपोर्ट संलग्न है.

18 नवंबर यह हुआ था

भाजपा एमएलसी अशोक अग्रवाल के बेटे सौरभ अग्रवाल की कंपनी टॉपलाइन से 16 लाख रुपये का रिश्वत लेते पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार को 18 नवंबर को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी आरोपित के आंबेडकर पथ के हरिचरण रेसिडेंसी अपार्टमेंट स्थित अपने फ्लैट नंबर 401 से की गयी. गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपित कार्यपालक अभियंता अपने आपको कमरे में बंद कर लिया था.

बहुत मुश्किल से उन्हें बाहर निकाला गया. निगरानी की दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, रोड मेंटनेंस के काम को लेकर टॉपलाइन कंपनी के 83.52 करोड़‍ रुपये बिल के भुगतान करने के लिए कंपनी के कटिहार के बिंची कोढा निवासी निखिल कुमार से कुल एग्रीमेंट का एक फीसदी 84 लाख रुपये रिश्वत की मांग की गयी थी. निखिल की शिकायत पर निगरानी के कहने पर 16 लाख रुपये रिश्वत की पहली किस्त देने की योजना बनायी गयी थी. निगरानी के छापे के बाद पड़ोस के कमरे में एक करोड़ रुपये के नोट जलाये गये.

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