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बूढ़ानाथ घाट से मानिक सरकार घाट तक गंगा में सैकड़ों मरी मछलियां मिलीं

भागलपुर : बूढ़ानाथ घाट से लेकर मानिक सरकार घाट तक गुरुवार को सैकड़ों मरी मछलियां गंगा में मिलीं. इन घाटों पर एक से दूसरी छोर तक मछली को पकड़ने के लिए अवैध जाल लगा था. सुबह को मछली मरने की सूचना फैली तो बड़ी संख्या में लोग मरी मछली को देखने गंगा घाट पहुंचे. बूढ़ानाथ […]

भागलपुर : बूढ़ानाथ घाट से लेकर मानिक सरकार घाट तक गुरुवार को सैकड़ों मरी मछलियां गंगा में मिलीं. इन घाटों पर एक से दूसरी छोर तक मछली को पकड़ने के लिए अवैध जाल लगा था. सुबह को मछली मरने की सूचना फैली तो बड़ी संख्या में लोग मरी मछली को देखने गंगा घाट पहुंचे. बूढ़ानाथ घाट पर काफी संख्या में मरी मछली दिखायी दीं. कई लड़के तो मरी मछली को साथ लेते चले गये. बूढ़ानाथ घाट से लेकर मानिक सरकार घाट तक गंगा के मुख्य धार का पानी है नहीं.

जहां मछली मरी थी वहां पर काफी गंदगी थी. इन जगहों पर नालों का पानी भी नदी में गिर रहा है. इतनी संख्या में मरी मछली देख कर लोग आश्चर्य कर रहे थे. इतनी बड़ी संख्या में मछली क्यों मर गयी, इसका जवाब किसी के पास नहीं था. इन जगहों पर कैमिकल और गंदगी जो नाला होते हुए गंगा में गिर रहा है यह भी एक कारण हो सकता है.
नाला का सीधे बहाव नदी में
इन घाटों पर गंगा के पानी का मुख्यधार नहीं है. मुख्य धार का पानी कई साल पहले नहीं आ रहा है. बाढ़ के समय से पानी रहता है. इसके बाद यहां कई तरह की गंदगी रहती है. नाला का पानी भी सीधे गंगा में जा रहा है.
गंगा की स्वच्छता पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
केंद्र सरकार ने गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर कई योजनाएं चलायी लेकिन भागलपुर में यह योजना धरातल पर उतर सकी.
गंगा में अवैध जाल को लेकर वन विभाग मौन
गंगा नदी में रह रहे डाल्फिन की सुरक्षा को लेकर वन विभाग पूरी तरह लापरवाह है. गंगा नहीं में जाल लगा हुआ है, लेकिन देखा नहीं जाता है.
क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ
नाला का गंदा पानी साथ कीटनाशक दवाई ,पेस्टीसाइड व अन्य कोई जहरीला पदार्थ अगर गंगा नदी में जाता है. इससे पानी दूषित हो जाता है. अगर पानी स्थिर हो जाये और अधिक दिनों से स्थिर है तो वह भी पानी खराब हो जाता है. इससे मछलियां मरती है.
डॉ सुनील अग्रवाल, सचिव, नेचर क्लब

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