शिक्षकों को मिले समानता का अधिकार

भागलपुर: गरीबी उन्मूलन के लिए गरीब छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार है, लेकिन उच्च शिक्षा प्रदान करने में संबद्ध कॉलेजों के जिन शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्हें ही समानता के अधिकार से वंचित रखा जाता रहा है. उक्त बातें तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के अवकाश प्राप्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2014 6:17 AM

भागलपुर: गरीबी उन्मूलन के लिए गरीब छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार है, लेकिन उच्च शिक्षा प्रदान करने में संबद्ध कॉलेजों के जिन शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्हें ही समानता के अधिकार से वंचित रखा जाता रहा है.

उक्त बातें तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र ने राष्ट्रीय सिंपोजियम पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कही. उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड में अधिकतर गरीब छात्रों की उच्च शिक्षा संबद्ध कॉलेजों में पूरी होने के बावजूद राज्य सरकार, भारत सरकार व यूजीसी अनदेखी करता आ रहा है. गरीब छात्रों और शिक्षकों के प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की अनदेखी से दोनों प्रांत में गरीबी बढ़ रही है.

उन्होंने बताया कि बिहार-झारखंड में विश्वविद्यालय को धन का अभावग्रस्त और संसाधन विहीन बना दिया गया है, जिससे शिक्षा व्यवस्था रुग्ण हो गयी है. महाविद्यालयों में शिक्षकों व कर्मचारी के लिए कोई बजट नहीं है. इन मुद्दों पर चिंता व्यक्त करने और चिंतन कर उपाय सुझाने के लिए सितंबर में राष्ट्रीय सिंपोजियम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें बिहार-झारखंड के विद्वान विचार-विमर्श कर गतिशीलता प्रदान करेंगे. उन्होंने कहा कि सिम्पोजियम का किसी संगठन से कोई संबंध है. सिम्पोजियम राजनीतिक आंदोलन नहीं वरन वैचारिक आंदोलन है. इस अवसर पर टीटीसी, नरगा के प्राध्यापक डॉ राजकुमार ठाकुर, रजाैन के डॉ वत्स अमिताभ, जीबी कॉलेज, नवगछिया के डॉ एके झा, महिला कॉलेज, गोड्डा के प्रो सुधीर कुमार, डॉ बबीता कुमारी, डॉ सुमन लता, प्रो विभा राय आदि ने भी इस विषय पर अपनी बात रखी. सिम्पोजियम में पारित प्रस्ताव को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को हाथों-हाथ सौंपा जायेगा.

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