विश्व साक्षरता दिवस. कागजों पर चल रहा साक्षरता केंद्र ..तो कैसे होंगे सब साक्षर

भागलपुर: ..साक्षरता केंद्र! इ की होए छैए बाबूजी, हमरा नए मालूम. नाथनगर प्रखंड के नूरपुर पंचायत की सांझो देवी और लाजो देवी का यही जवाब था, जब उनसे अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर गांव-गांव खोले गये साक्षरता केंद्र के बारे में पूछा गया. महिलाओं को यह बताने पर कि साक्षरता केंद्र आप जैसे निरक्षर लोगों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2014 2:14 AM

भागलपुर: ..साक्षरता केंद्र! इ की होए छैए बाबूजी, हमरा नए मालूम. नाथनगर प्रखंड के नूरपुर पंचायत की सांझो देवी और लाजो देवी का यही जवाब था, जब उनसे अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर गांव-गांव खोले गये साक्षरता केंद्र के बारे में पूछा गया.

महिलाओं को यह बताने पर कि साक्षरता केंद्र आप जैसे निरक्षर लोगों के लिए स्कूल होता है, जहां आप अपने घरेलू काम काज से फुरसत पाकर थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई कर सकेंगी, महिलाएं खुश तो होती हैं, लेकिन साक्षर होने का उनका सपना कब और कैसे पूरा होगा, इस उधेड़बुन में वह खामोश हो जाती हैं. यह तो महज बानगी है, नाथनगर प्रखंड के एक पंचायत की. सभी 14 पंचायतों में खोले गये 180 से भी ज्यादा साक्षरता केंद्रों में 99 फीसदी का यही हाल है.

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर हर पंचायत में 12-12 साक्षरता केंद्र खोले तो गये, लेकिन महज कागज पर. कागज पर ही इन केंद्रों का उद्घाटन हुआ और शिक्षा विभाग गंभीर न हुआ, तो ये केंद्र कागज पर ही सीमित रह जायेंगे. आठ सितंबर को खुले इन केंद्रों के बारे में गांव के लोगों को मालूम ही नहीं है. कजरैली, नूरपुर आदि जगहों के पंचायत लोक शिक्षा समिति में खुले कुछ केंद्रों को छोड़ दिया जाये, तो मंगलवार को कहीं केंद्र के नाम पर एक बोर्ड तक नहीं लटका दिखा. ग्रामीणों को जानकारी तक नहीं है. ऐसे में सरकार के महत्वाकांक्षी साक्षर भारत अभियान की कामयाबी पर संशय नजर आता है. जमीनी हकीकत से इतर दूसरी ओर नाथनगर प्रखंड के मुख्य संसाधन सेवी (केआरपी) इस सच्चई से इत्तेफाक नहीं रखते. उनके अनुसार प्रखंड में 182 साक्षरता केंद्र खोले गये हैं, जहां मंगलवार को पुस्तक वितरण शुरू हुआ. इन केंद्रों पर प्रेरक के अलावा शिक्षा स्वयंसेवी (वीटी) के रूप में दसवीं के विद्यार्थी भी निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने में सहभागिता करेंगे. उनका कहना है कि पूर्व में साक्षरता अभियान तीन से छह महीने के टर्म के अनुसार चलाया जाता था, जबकि केंद्र खोले जाने के बाद यहां नियमित पढ़ाई होगी.

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