रेलवे का कमाऊ पूत है भागलपुर, फिर भी उपेक्षित
भागलपुर : मालदा रेल मंडल का सबसे कमाऊ पूत भागलपुर है. रोजाना लाखों रुपये की टिकट की बिक्री होती है इसके बाद भी रेलवे का पर्याप्त ध्यान नहीं है. स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. न तो खाने का ढंग का रेस्टोरेंट है न ही बैठने के लिए पर्याप्त जगह. फूड प्लाजा की […]
भागलपुर : मालदा रेल मंडल का सबसे कमाऊ पूत भागलपुर है. रोजाना लाखों रुपये की टिकट की बिक्री होती है इसके बाद भी रेलवे का पर्याप्त ध्यान नहीं है. स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. न तो खाने का ढंग का रेस्टोरेंट है न ही बैठने के लिए पर्याप्त जगह. फूड प्लाजा की बात होते- होते दशक बीत गया लेकिन आजतक यह रेलवे की फाइल में ही है. नए बने दो तीन और 6 नंबर प्लटेफार्म पर कोई सुविधा नहीं है.
प्लेटफॉर्म संख्या एक को छोड़ अधिकांश प्लेटफॉर्म भगवान भरोसे है. हल्की बारिश में में यात्री भींगने लगते हैं. दो और तीन पर तो अभी तक शेड ही नहीं बना है. प्लेटफॉर्म हो या स्टेशन परिसर हर जगह गंदगी फैली रहती है. सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम नहीं है. जिस संख्या में यहां टिकट की बिक्री होती है, उस हिसाब से काउंटर नहीं है. यही कारण है कि टिकट के लिए लंबी लाइन लगी रहती है. कहने को तो एक दर्जन टिकट काउंटर है, लेकिन टिकट दो- चार पर ही मिलता है. बस जिस दिन किसी अधिकारी को आना होता है स्टेशन पूरी तरफ फिट हो जाता है. सामान्य दिनों में अपने हाल पर खड़ा रहता है.
* पैसेंजर ट्रेन में कोई सुविधा नहीं
सूबे के नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी पिछले दिनों यहां आए थे और भागलपुर के लोगों को मेट्रो ट्रेन का सपना दिखाकर चले गये, पर स्थिति यह है यहां पैसेंजर ट्रेन में कोई सुविधा नहीं है. न रोशनी और न पंखा. शौचालय है तो उसमें पानी नहीं. लंबी दूरी की गाडि़यों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.ट्रेनों की साफ- सफाई ठीक तरीके से नहीं होती है. देरी से ट्रेनों का चलना इस रेलखंड की पहचान है. गरीब रथ, डाउन विक्रमशिला, लोकमान्य तिलक सूरत एक्सप्रेस आदि ट्रेन शायद की कभी समय पर आती है.यात्रियों की तादाद के हिसाब से ट्रेन भी कम है.
स्मार्ट सिटी की ओर कदम बढ़ा रहे सिल्क सिटी में रेल सुविधाओं का घोर अभाव है. एक ओर तो भागलपुर में मेट्रो ट्रेन चलाने की बात हो रही है, वहीं इस ओर से गुजरनेवाली या खुलनेवाली ट्रेनो में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. सिर्फ ट्रेन ही नहीं रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. ट्रेनों का देरी से चलना इस रेलखंड की पहचान है.
डेढ़ शताब्दी पुराने इस स्टेशन से आज भी कई महत्वपूर्ण जगहों के लिए सीधी ट्रेन नहीं है. डेढ़ शताब्दी पहले 1861 में इस होकर रेलवे लाइन गुजरी थी. भागलपुर-मंदारहिल रेलखंड भी पहले विश्वयुद्ध से पहले का है. इतना पुराना रेलखंड होने के बाद भी आजतक इसका विद्युतीकरण नहीं हो सका. भागलपुर से पीरपैंती के बीच रेल लाइन का दोहरीकरण भी नहीं हुआ है. इसके बाद बने रेलखंड से राजधानी जैसी ट्रेन गुजरती है लेकिन भागलपुर को अभी तक राजधानी का इंतजार ही है.