भागलपुर: आदमपुर थाना क्षेत्र शुक्रवार को पांच घंटे तक रणक्षेत्र बना रहा. दिगंबर सरकार रोड में दो पक्ष आपस में भिड़ गये. मंसूरगंज और दिगंबर सरकार लेन के निवासियों में जम कर मारपीट हुई.
कई लोग चोटिल हो गये. आक्रोशित एक पक्ष के लोगों ने थाना घेर कर उपद्रव किया. थानेदार मिथिलेश कुमार से धक्का-मुक्की और नोक-झोंक की. दूसरे पक्ष के लोगों ने शंकर टॉकिज चौक के पास सड़क जाम कर आगजनी कर दी. सड़क पर कई बोतलों को फोड़ डाला. दिगंबर सरकार लेन के निवासियों का आरोप था कि थानेदार की लापरवाही से यह घटना हुई.
थाने के सामने घरों में घुस कर मारपीट, पथराव किया गया और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. कार्रवाई के नाम पर पुलिस आरोपी पक्ष को बचाती रही. इस बात को लेकर मुकेश यादव व उसके परिजन थाना के बाहर मुख्य सड़क पर जम कर हंगामा करने लगे. आदमपुर पुलिस के खिलाफ जम कर नारेबाजी की. थानेदार मिथिलेश समझाने गये तो उनके साथ धक्का-मुक्की की.
पुलिस पर पार्षद के पक्ष में काम करने का आरोप
घटना की जानकारी मिलते ही इंस्पेक्टर मनोरंजन भारती समेत शहर के सभी थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गयी. इंस्पेक्टर ने थानेदार को पिटने से बचा लिया. पुलिस अधिकारियों ने आक्रोशित भीड़ के सामने काफी सूझबूझ से काम लिया. आधे घंटे तक मुकेश यादव व उसके परिजन हंगामा करते रहे और पुलिस उन लोगों को समझाती रही. मुकेश का कहना था कि आदमपुर पुलिस पार्षद संजय सिन्हा के पक्ष में काम कर रही है. पार्षद आरोपी पक्ष की मदद कर रहे हैं. उन्हें थाने में बैठा कर रखा गया है. मुकेश यादव व उनके परिजनों के भारी विरोध के कारण पुलिस ने पार्षद को थाने से जाने के लिए कहा.
एक-दूसरे को देख लेने की दी धमकी
मुकेश यादव के पक्ष के लोगों को पुलिस समझा कर थाना लायी. वहां दूसरा पक्ष श्याम तुरी और उसकी मां को देख वे लोग भड़क उठे. पुलिस के सामने थाने में ही दोनों पक्षों में तू-तू मैं-मैं हो गयी. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को देख लेने की धमकी तक दे डाली. कोई पक्ष हार मानने को तैयार नहीं था. दो घंटे तक थाने में हंगामा, नोक-झोंक, हुल्लड़बाजी होती रही. पुलिस मूकदर्शक बनी रही. स्थिति बिगड़ती देख पुलिस लाइन और सीटीएस से अतिरिक्त पुलिस बल मंगवाया गया. दंगा नियंत्रक वाहन और डी रैफ की टुकड़ी आदमपुर पहुंच गयी. महिला बटालियन को भी बुला लिया गया. पुलिस बलों के पहुंचते ही मामला शांत हो गया. सिटी एएसपी वीणा कुमारी मौके पर पहुंचीं. उन्होंने दोनों पक्षों को सुना और किसी पक्ष के साथ अन्याय न होने देने की बात कही. दोनों पक्षों से लिखित शिकायत दी गयी, तब जाकर मामला शांत हुआ.