भागलपुर: शहर में पैथोलॉजी के खेल में कई घालमेल हैं जिसका पता न तो मरीज को होता है न ही आम लोगों को होता है. इसका मनमाना लाभ जांचघर के संचालक उठाते हैं. परेशान मरीजों की परेशानी न तो चिकित्सक न ही जांच घर वालों को मतलब रहता है. उन्हें तो बस अपनी फीस व कमीशन से मतलब रहता है. अब मरीज चाहे जहां से हो वे पैसे लायें और जांच करायें.
मनमाना रेट: वैसे तो शहर में कई तरह के जांच घर चल रहे हैं जहां सुविधा है और जहां सुविधा का घोर अभाव है. इसके बावजूद चिकित्सक कई ऐसी जांच मरीजों के परचे पर लिखते हैं जो भागलपुर या आसपास के जिलों में उपलब्ध नहीं होता है. ऐसे में इस तरह के जांच को कोलकाता, दिल्ली, मुंबई सहित अन्य राज्यों में भेजा जाता है.
जिस जांच के लिए कोलकाता में 50 रुपये लगते हैं उसी जांच के लिए यहां के जांच घर संचालक ढाई सौ से तीन सौ रुपये वसूलते हैं. ये लैब वाले मरीजों के सैंपल कलेक्शन कर कूरियर के माध्यम से बाहर भेज देते हैं और बाद में वहां से रिपोर्ट भेज दिया जाता है. इससे जहां मरीज को रिपोर्ट के लिए इंतजार करना पड़ता है वहीं पैसे भी अधिक लिये जाते हैं. एक मरीज ने टीएचएच जांच के लिए एक लैब में 250 रुपये जमा किया जब उसी जांच की लागत कोलकाता में मालूम की गयी तो पता चला कि वहां 50 रुपये ही लिये जाते हैं बाकी राशि कलेक्शन सेंटर वाले का होता है.
कई कंपनियों के फ्रेंचाइजी : शहर में कई अलग-अलग कंपनियों के फ्रेंचाइजी मौजूद हैं जिसके शहर में अलग-अलग स्थानों पर कलेक्शन सेंटर हैं. जिसमें सिरम एनालाइसिस, थायराइड जांच, स्टॉर्च जांच सहित कई अन्य जांच बाहर से कराये जाते हैं. खास कर बांझपन व गर्भाशय के रोगियों की जांच के लिए दूसरे राज्यों में सैंपल भेजा जाता है. वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही चिकित्सक आगे का इलाज शुरू करते हैं. ऐसे कलेक्शन सेंटरों में कुशल टेक्नीशियनों का भी अभाव रहता है. यहां कम उम्र के युवक व युवतियों द्वारा सैंपल मरीजों से लिया जाता है.