1996 में दाउदबाट में 154 परिवारों को बसाया, अब तक नहीं मिला जमीन का पर्चा
कहीं भूमिहीनों को जमीन का पर्चा, तो कहीं दखल, तो कहीं दोनों ही नहीं मिला.
कहीं भूमिहीनों को जमीन का पर्चा, तो कहीं दखल, तो कहीं दोनों ही नहीं मिला. यह परेशानी दर्जनों परिवार की है. जानकारी के अनुसार 1996 में तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर लाजपत पार्क के आसपास बसी झुग्गीबस्ती को हटाकर दाउदबाट के समीप लाजपतनगर में बसाया गया. यहां 154 परिवारों को आवास, पेयजल, शौचालय आदि की सुविधा दी गयी. इसके विपरीत अब तक उन्हें मालिकाना हक नहीं मिल पाया. इसे लेकर अंचल कार्यालय, जिला कार्यालय से लेकर मुख्यालय तक चक्कर लगाना पड़ रहा है. एक बार फिर जोर पकड़ने लगी मांग स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हीरा पांडेय के नेतृत्व में झुग्गीवासियों की मांग जोर पकड़ने लगी है. जिलाधिकारी से अभियान बसेरा दो के तहत 154 परिवारों को जमीन का पर्चा निर्गत करने की मांग की गयी. बताया कि एक अगस्त को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को आवेदन दिया गया था. वहां से अंचलाधिकारी को आदेश जारी कर समुचित कार्रवाई करने को कहा था. इसके बाद हल्का कर्मचारी को जांच करने का आदेश जारी हुआ. अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. नगर निगम व अंचल सीमा के चक्कर में परेशान हैं झुग्गीवासी पीड़ितों को अंचल कार्यालय में कहा जा रहा है कि यह जमीन नगर निगम के अंतर्गत है, जबकि झुग्गीवासियों का कहना है कि नगर निगम की जमीन हो या अंचल की. नगर निगम क्षेत्र की भी जमीन जगदीशपुर अंचल में पड़ती है. शांति देवी, चतुरानंद पोद्दार, बबलू मंडल, लड्डू मंडल, बिरजू राम, राजा दास, छक्कू दास आदि का कहना है कि अंचल कार्यालय में बार-बार मांग उठाने पर कहा जा रहा है कि 154 परिवारों की जांच करना संभव नहीं है.
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