डीएसपी ने चुटकी में कर दिया था सुपरविजन, एएसपी को समय नहीं

भागलपुर: तपस्वी अस्पताल के संचालक डॉ मृत्युंजय चौधरी पर दर्ज मामले की सुपरविजन की जिम्मेदारी एसएसपी ने अपर पुलिस अधीक्षक फरोगुद्दीन को सौंपी है. लेकिन अब तक फरोगुद्दीन ने मामले की जांच नहीं की. लगातार तीन दिनों से एएसपी फरोगुद्दीन गोराडीह में कैंप किये हुए थे. दो दिन से गांव में तनाव चल रहा था […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2014 6:42 AM

भागलपुर: तपस्वी अस्पताल के संचालक डॉ मृत्युंजय चौधरी पर दर्ज मामले की सुपरविजन की जिम्मेदारी एसएसपी ने अपर पुलिस अधीक्षक फरोगुद्दीन को सौंपी है. लेकिन अब तक फरोगुद्दीन ने मामले की जांच नहीं की.

लगातार तीन दिनों से एएसपी फरोगुद्दीन गोराडीह में कैंप किये हुए थे. दो दिन से गांव में तनाव चल रहा था और तीसरे दिन मुहर्रम का जुलूस शांतिपूर्वक निकलना था. डीएम-एसएसपी के संयुक्त जिलादेश में एएसपी और एडीएम को संपूर्ण जिले के वरीय प्रभार में रखा गया था. इस कारण डॉक्टर मामले की जांच अब तक शुरू नहीं हो पायी है. गोराडीह का आनंदपुर गांव विधि-व्यवस्था डीएसपी राकेश कुमार के अधीन आता है. वे भी तीन दिनों से गोराडीह में कैंप किये हुए थे.

इस दौरान दो नवंबर को सुलतानगंज के सीतारामपुर गांव में एक पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म हो गया. परिजनों ने तीन नवंबर को मामले की प्राथमिकी सुलतानगंज थाने में दर्ज करायी. डीएसपी को मामले की जानकारी मिलते ही वे मौके पर पहुंचे. पीड़िता, परिजन और गवाहों का बयान लिया. मेडिकल रिपोर्ट का अध्ययन किया और कांड दर्ज होने के कुछ घंटे के बाद ही मामले का सुपरविजन कर सुपरविजन रिपोर्ट भी जारी कर दी.

इतने संवेदनशील मामले में सुस्ती क्यों ?

डॉक्टर पर दर्ज मामला काफी संवेदनशील है. राजनीतिक दल भी इसे भुनाने में लगे हैं. शहर के कई संगठन भी पक्ष-विपक्ष में उठ खड़े हुए हैं. डॉक्टरों ने आंदोलन की चेतावनी दी है. पीड़ित परिवार आमरण अनशन की चेतावनी दे रहा है. शहर बंद की भी घोषणा हो गयी है. इतने संवेदनशील मामले में पुलिस सुस्त क्यों है? जब एक पुलिस अधिकारी गोराडीह में ड्यूटी लगने के बाद भी सुलतानगंज जाकर कांड का सुपरविजन कर तुरंत उसकी रिपोर्ट जारी कर सकते हैं, तो दूसरे मामले में ऐसा क्यों नहीं.

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