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डॉ मृत्युंजय को अब हाई कोर्ट का सहारा

भागलपुर: दुष्कर्म के प्रयास मामले में आरोपित डॉ मृत्युंजय कुमार की अग्रिम जमानत याचिका (2354/14) को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद माधव की अदालत ने गुरुवार को दोनों पक्षों के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद खारिज कर दिया. गुरुवार को अदालत में अग्रिम जमानत याचिका पर आरोपित पक्ष के वरीय अधिवक्ता सत्यनारायण पांडे और […]

भागलपुर: दुष्कर्म के प्रयास मामले में आरोपित डॉ मृत्युंजय कुमार की अग्रिम जमानत याचिका (2354/14) को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद माधव की अदालत ने गुरुवार को दोनों पक्षों के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद खारिज कर दिया.

गुरुवार को अदालत में अग्रिम जमानत याचिका पर आरोपित पक्ष के वरीय अधिवक्ता सत्यनारायण पांडे और पीड़ित पक्ष के आपराधिक मामलों के अधिवक्ता डॉ राजेश तिवारी ने बहस में भाग लिया.

आधे घंटे से अधिक समय तक दोनों पक्षों द्वारा कई दलील अदालत के सामने रखी गयी. इस मामले में बहस सुनने के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में काफी संख्या में अधिवक्ता उपस्थिति थे. जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दोनों पक्षों और लोक अभियोजक की दलील को सुना. अदालत के बाहर दोनों पक्षों के लोग काफी संख्या में थे. अदालत में बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्री पांडे ने कहा कि डॉ मृत्युंजय कुमार शहर के जाने माने डॉक्टर हैं.

कई साल से इस पेशे में हैं. इन पर 354 बी लगता ही नहीं है. अदालत को उन्होंने बताया कि यह आरोप कहीं भी नहीं है कि पीड़िता के साथ मारपीट की गयी. सीआरपीसी की धारा 41 में सात साल की सजा है, उसमें तुरंत गिरफ्तारी नहीं है. धारा 41 ए में आरोपी को नोटिस करना आवश्यक है. आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता डॉ राजेश कुमार तिवारी ने बहस में भाग लेते हुए कहा कि यह मामला 354 बी के अलावा 354 का है. यह धारा पुलिस द्वारा शामिल नहीं किया गया है.

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