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पुलिस अफसरों पर गिरेगी गाज

भागलपुर: दुष्कर्म के प्रयास का मामला दर्ज होने के बाद भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में आरोपी डॉक्टर मृत्युंजय कुमार के निकल जाने की जांच शुरू हो गयी है. एसएसपी के निर्देश पर एएसपी फरोगुद्दीन मामले की जांच कर रहे हैं. एसएसपी विवेक कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आरोपी डॉक्टर को […]

भागलपुर: दुष्कर्म के प्रयास का मामला दर्ज होने के बाद भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में आरोपी डॉक्टर मृत्युंजय कुमार के निकल जाने की जांच शुरू हो गयी है.

एसएसपी के निर्देश पर एएसपी फरोगुद्दीन मामले की जांच कर रहे हैं. एसएसपी विवेक कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आरोपी डॉक्टर को भगाने में मददगार पुलिस अफसरों को चिह्न्ति किया जा रहा है. अगर जांच में यह साबित हो जाता है कि आरोपी को भगाने में किसी पुलिस अफसर की संलिप्तता है, तो उस अफसर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए एसएसपी सीसीटीवी फुटेज, फोटोग्राफ व अखबारों में छपी तसवीरों को खंगाल रहे हैं. एसएसपी ने बताया कि यह बात सामने आ रही है कि आरोपी डॉक्टर के भागने के दौरान लाल गाड़ी का दरवाजा किसी थानेदार ने खोला था. उस थानेदार को चिह्न्ति किया जा रहा है.

वरीय थे, तो कनीय की भूमिका कहां बनती है

पुलिस महकमे में चर्चा है कि 31 अक्तूबर को तपस्वी अस्पताल में पुलिस के सीनियर अफसर भी मौजूद थे. सबकी मौजूदगी में आरोपी डॉक्टर लाल गाड़ी पर चढ़ कर निकल गये. पुलिस के सीनियर अफसर ने इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की. उल्टे आरोपी डॉक्टर के साथ उनके चेंबर में बैठ कर गुफ्तगूं की. ऐसे में जूनियर अफसर (इंस्पेक्टर, थानेदार, एसआइ, एएसआइ, हवलदार व सिपाही) की भूमिका आरोपी को भगाने में कहां बनती है? अगर सीनियर अफसर डॉक्टर को गिरफ्तार करने का आदेश देते, तो क्या जूनियर अफसर इसका पालन नहीं करते? अगर पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच कर रही है तो लाल गाड़ी में आरोपी डॉक्टर के साथ और कौन-कौन बैठे थे, इसकी भी जांच होनी चाहिए.

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