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सरकारी अस्पतालों में दवा को लेकर संशय

– चिकित्सक व मरीज दोनों सरकारी दवाओं को लेकर रहते हैं सशंकित वरीय संवाददाता,भागलपुर. सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन के बाद दवा खाने व इंजेक्शन लगाने से मरीजों की मौत हो रही है. इससे चिकित्सक और मरीज दोनों संशय में हैं. जेएलएनएमसीएच में कार्यरत चिकित्सकों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बंध्याकरण शिविर में महिलाओं की […]

– चिकित्सक व मरीज दोनों सरकारी दवाओं को लेकर रहते हैं सशंकित वरीय संवाददाता,भागलपुर. सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन के बाद दवा खाने व इंजेक्शन लगाने से मरीजों की मौत हो रही है. इससे चिकित्सक और मरीज दोनों संशय में हैं. जेएलएनएमसीएच में कार्यरत चिकित्सकों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बंध्याकरण शिविर में महिलाओं की मौत चूहा मारने वाली दवा की मिलावट से हुई है. भागलपुर में भी बांका के अरविंद साह की मौत दवा के रिएक्शन से होने की पुष्टि हो गयी है. इस तरह के मामले में सबसे पहले चिकित्सक को ही आरोपी ठहराया जाता है. ऐसे में सरकारी दवाओं की वजह से अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो चिकित्सक कैसे इलाज करेंगे. एक चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमलोग अपने नजदीकी लोगों से कहते हैं कि अस्पताल की दवा मत लो, बाहर से ही खरीद लो. यहां की दवा काफी सस्ती दर पर खरीदी जाती है. ऐसे में गुणवत्ता बहुत उच्च कोटि की नहीं रहती है. प्राइवेट दुकानों में मिलने वाली अच्छी कंपनियों की दवा को कई तरह की जांच के बाद ही बाजार में भेजा जाता है. हाल के दिनों में जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने ड्रग इंस्पेक्टर से दवाओं की सैंपलिंग करा कर लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजा है, लेकिन अब तक उस दवा की रिपोर्ट नहीं आ सकी है. नतीजतन अस्पताल में दवा यूं ही पड़ी हुई है और उसके बदले दूसरी दवा का इस्तेमाल हो रहा है. अधीक्षक का कहना है कि हमने जांच के लिए भेज दिया है वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही दवा के बारे में कुछ कहा जा सकता है.

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