..तो प्रशिक्षण के बिना थिरकेंगे पांव

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत 30 अंगीभूत कॉलेज हैं, लेकिन स्नातकोत्तर संगीत विभाग के अलावा केवल तीन कॉलेज में संगीत की पढ़ाई होती है. विडंबना यही नहीं, संगीत के महज छह शिक्षक ही नियुक्त हैं. सभी शिक्षक वोकल (गायन) के विशेषज्ञ हैं. वाद्य यंत्र के एक भी विशेषज्ञ नियुक्त नहीं है. दूसरी ओर विश्वविद्यालय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2014 8:40 AM

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत 30 अंगीभूत कॉलेज हैं, लेकिन स्नातकोत्तर संगीत विभाग के अलावा केवल तीन कॉलेज में संगीत की पढ़ाई होती है. विडंबना यही नहीं, संगीत के महज छह शिक्षक ही नियुक्त हैं. सभी शिक्षक वोकल (गायन) के विशेषज्ञ हैं.

वाद्य यंत्र के एक भी विशेषज्ञ नियुक्त नहीं है. दूसरी ओर विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद की ओर से जारी कैलेंडर के कार्यक्रमों में न सिर्फ गायन विधा को शामिल किया गया है, बल्कि वादन व नृत्य के कार्यक्रम भी शामिल किये गये हैं. संगीत के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण विश्वविद्यालय के सामने आगे यह हालात सामने आनेवाले हैं, जिसमें कैलेंडर में शामिल किये गये कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए विश्वविद्यालय को बाहर से विशेषज्ञों को बुलाने की मजबूरी होगी.

बजानेवाले कोई नहीं : संगीत के एक वरीय शिक्षक के अनुसार तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संगीत विभाग में न तो नृत्य का विभाग है और न ही शिक्षक. यह बिहार के किसी भी कॉलेज में नहीं है. वाद्य यंत्र बजानेवाले नहीं हैं. स्नातकोत्तर संगीत विभाग में सितार का डिपार्टमेंट तो है, लेकिन उसे बजानेवाला कोई नहीं है. बजाने की जरूरत पड़ने पर बाहर से कलाकारों को बुलाना पड़ता है. यही स्थिति तबला वादन में भी है. कुछ छात्र तबला व सितार बजा लेते हैं. कभी-कभी इन छात्रों का उपयोग कर लिया जाता है.

कहीं एक, कहीं दो शिक्षक : विश्वविद्यालय में संगीत शिक्षकों की स्थिति पर गौर करें, तो बीआरएम कॉलेज मुंगेर में संगीत शिक्षक डॉ मृत्युंजय मिश्र, एसएम कॉलेज में डॉ सुनील कुमार तिवारी व डॉ रश्मि पुरियार, एमएएम कॉलेज नवगछिया में डॉ अंजु कुमारी और पीजी संगीत विभाग में डॉ निशा झा व डॉ किरण सिंह के बलबूते विभाग चल रहा है.

बिना प्रशिक्षण भी लेंगे भाग : सांस्कृतिक परिषद की सचिव डॉ निशा झा ने बताया कि सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल कार्यक्रमों में कोई भी विद्यार्थी भाग ले सकते हैं. ऐसा नहीं है कि कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उनका प्रशिक्षित होना जरूरी है. इसके लिए सभी कॉलेजों को पत्र भेज कर अनुरोध किया गया है कि कैलेंडर के मुताबिक निर्धारित कार्यक्रमों में अपनी टीम को भाग दिलाने के लिए लेकर अवश्य आएं.

खूब थिरकेंगे पांव, छिड़ेगी सुरों की तान

सांस्कृतिक कैलेंडर में एकल हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन में खयाल व ध्रुपद को शामिल किया गया है. सेमी एकल क्लासिकल में ठुमरी, टप्पा व दादरा शामिल किया गया है. लाइट वोकल में भजन व गजल का आयोजन होगा. लोकगीतों में भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका व वज्जिका के गीत शामिल किये गये हैं. शास्त्रीय वादन में परकसन में तबला व पखावज और नन परकसन में सितार, गिटार, बांसुरी, शहनाई, वायलीन, सरोद, संतूर, सारंगी, एसराज बजेंगे. समूह गीत में फोक व नन फिल्मी गीत ही गाये जायेंगे. क्लासिकल डांस में कथक, ओड़ीशी, कथकली, भरतनाट्यम, मणिपुरी, कुचीपुडी, फोक डांस व ट्राइबल डांस शामिल किये गये हैं. इसके अलावा क्विज, वाद-विवाद, नाट्य कला आदि का आयोजन होगा.

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