अभिभावकों को फांसते थे एजेंट
* इंदिरा गांधी रेसिडेंसियल स्कूल: एनजीओ के मार्फत चलाने की दावेदारी* गांव के सीधे-साधे लोगों को बनाया गया था सॉफ्ट टारगेट* बच्चों के नामांकन पर एजेंटों को मिलता था कमीशनसबौर : इंदिरा गांधी रेसिडेंसियल स्कूल कामाख्यानगरी को बंद कर फरार हो चुके प्रबंधन के पदाधिकारी अभिभावकों को फंसाने के लिए 10 से 12 एजेंट रखते […]
* इंदिरा गांधी रेसिडेंसियल स्कूल: एनजीओ के मार्फत चलाने की दावेदारी
* गांव के सीधे-साधे लोगों को बनाया गया था सॉफ्ट टारगेट
* बच्चों के नामांकन पर एजेंटों को मिलता था कमीशन
सबौर : इंदिरा गांधी रेसिडेंसियल स्कूल कामाख्यानगरी को बंद कर फरार हो चुके प्रबंधन के पदाधिकारी अभिभावकों को फंसाने के लिए 10 से 12 एजेंट रखते थे. ये एजेंट ग्रामीण इलाके में जाकर बहुत कम पैसे में बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का झांसा दे कर भोले-भाले ग्रामीणों को फंसते थे. सभी एजेंट को एक टारगेट भी दिया गया था. बच्चों के स्कूल में नामांकन कराने के बाद एजेंट को प्रति बच्चे बंधा-बंधाया कमीशन मिल जाता था.
एजेंट द्वारा अभिभावकों को फंसाने का तरीका बड़ा ही रोचक था. एजेंट ग्रामीण क्षेत्रों में अनपढ़ व मजदूरी करने वाले टोलों में जाते थे और भोले-भाले अभिभावकों को समझाते थे कि बहुत ही कम खर्च में उनके बच्चे उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर परिवार का नाम रोशन करेंगे. साथ ही ऊंचे पद पर नौकरी कर आपकी आर्थिक बदहाली को भी दूर करेंगे.
स्कूल एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा है जिसमें अधिकतर खर्च बाहर से ही मिलता है. जगह बहुत कम है. प्राथमिकता के आधार पर नामांकन के लिए प्रेरित करते थे. इस प्रकार अभिभावक उनके झांसे में आ जाते थे. फिर यहां एक लिखित परीक्षा ली जाती थी. उसके बाद डाक से उन्हें स्वीकृति पत्र दिया जाता था कि आपके बच्चे का नामांकन के लिए चयन कर लिया गया है. आप अतिशीघ्र आकर नामांकन करा लें.
बता दें कि बिना ट्यूशन फी व छात्रावास फी के पढ़ाने की लालच दे कर इंदिरा गांधी रेसिडेंसियल स्कूल प्रबंधन 250 से अधिक अभिभावकों से लगभग 22 लाख रुपये ठग कर फरार हो गया. सबौर प्रखंड के वंशीटीकर के समीप कामाख्या नगरी स्थित इंदिरा गांधी रेसिडेंसियल स्कूल के फाउंडर मेंबर राजीव रंजन व प्राचार्य हिमांशु कुमार ने अभिभावकों को बैठक के लिए बुलाया था. बैठक में स्कूल के बंद होने की बात पर अभिभावकों ने शुक्रवार को जम कर हंगामा किया था.
* अभिभावकों ने बताया
मधेपुरा जिला के रतवारा थानांतर्गत आलमनगर प्रखंड के गंगापुर नौनियाचक टोला के शंभु मंडल और बैजू मंडल ने बताया कि हम हरियाणा में रिक्शा चलाते हैं. गांव में अधिकतर लोग अनपढ़ हैं. स्कूल के बारे में बताने के लिए दो लड़के आये और कहा कि भागलपुर में नि:शुल्क पढ़ाई की व्यवस्था है. बहुत की कम शुल्क 350 रुपया प्रति माह के खर्च पर आवासीय विद्यालय में आप अपने बच्चे को रख कर पढ़ा सकते हैं.
हम तैयार हो गये अपने बच्चे को लेकर यहां आये जहां परीक्षा ली गयी और सभी बच्चे उत्तीर्ण हो गये. नामांकन के समय बताया गया की तीन हजार रुपया सेक्यूरिटी फीस देना होगा. हम उस पर भी तैयार हो गये. दो हजार नकद दिया और फिर एक हजार बकाया रहा. 1350 रुपये नामांकन फीस भी दिया. 350 रुपया महीना का फीस भी दिया. अभिभावकों ने फीस की रसीद भी दिखायी.
प्रबंधन के निर्देशानुसार जूता ड्रेस सभी बनवा कर दिया. 10-15 दिन स्कूल चला, फिर गरमी छुट्टी हो गयी. छुट्टी समाप्त होने के बाद जब विद्यालय आया तो बताया गया कि इतने कम पैसे में पढ़ाना संभव नहीं है. आज हम लाचार होकर बक्सा व बैडिंग लेकर वापस जा रहे हैं. विद्यालय बंद है. दर्जनों लड़कों का सामान बंद है. बक्सा व सामान कब मिलेगा कहना मुश्किल है.
* विद्यालय का दो जगह लिखा है पता
विद्यालय से निर्गत सभी रसीद पर सिर्फ राजीव रंजन के ही हस्ताक्षर हैं. विद्यालय द्वारा निर्गत प्रवेश पत्र में रिफ्यूजी कॉलोनी बरारी का पता लिखा है तो रसीद में कामाख्या नगरी वंशीटीकर का पता. सूत्रों की मानें तो बरारी के पते पर कुछ भी ऐसा नहीं हैं जिससे लगे की यहां विद्यालय या उसका कोई कार्यालय हो. प्रोस्पेक्टस में विद्यालय के नाम के पर फोकस किया गया है नेशनल एजुकेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट इंडिया. धरातल पर डेवलपमेंट के नाम पर सिर्फ धोखा धड़ी.
* कई प्राइवेट विद्यालय हैं दहशत में
सबौर क्षेत्र में तकरीबन आधा दर्जन विद्यालय इसी प्रकार चलाये जा रहे हैं जिसका न तो कोई रजिस्ट्रेशन है और न ही कोई नियमावली. बस जितना चाहें अभिभावकों को बेहतर भविष्य का सब्ज बाग दिखा कर उनके जेब को कतर रहे हैं. बेचारे अभिभावक सब कुछ समझते हुए भी बच्चे के पठन-पाठन में व्यवधान नहीं हो इस वजह से सब कुछ सहते रहते हैं. हालांकि इस घटना के बाद से ऐसे विद्यालय प्रबंधनों के कान भी खड़े हो गये हैं. अंदर ही अंदर उनमें दहशत हैं.
* प्रोस्पेक्टस में हाइ फाइ सुविधा देने की कही गयी बात
अभिभावकों को बताया गया था कि विद्यालय एनजीओ के अंतर्गत चल रहा है. लेकिन विद्यालय के लोक लुभावन प्रोसपेक्टस और रसीद में न तो कहीं किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन नंबर है और न ही किसी एनजीओ का नाम ही अंकित है. सबौर थाना अंतर्गत वंशीटीकर के कामाख्यानगरी में एक किराये के मकान में विद्यालय प्रारंभ किया गया. बायपास मुख्य पथ के पास बोर्ड लगाया गया है और दूसरा बोर्ड विद्यालय के पास था जिसे हटा लिया गया है. वीरान पड़े विद्यालय भवन में ताला लटक रहा है. अपने बच्चे का सामान लेने के लिए आ रहे दूर-दराज के अभिभावक निराश हो वापस लौट रहे हैं.
* मामले को लेकर पुलिस गंभीर
सबौर थानाध्यक्ष महेश्वर राय इस कांड के आइओ हैं. शुक्रवार की देर शाम कांड संख्या 161 में धारा 420,406 व 3 4 भादवी अंतर्गत अमानत में खयानत का मामला दर्ज है. इसकी गंभीरता से जांच की जा रही है.
* चर्चाओं का बाजार गरम
शनिवार सुबह से ही कामाख्या नगरी, वंशीटीकर, जिछो, सरधो, सबौर, बाबूपुर, बरारी, खानकित्ता, सुल्तानपुर भिट्ठी, हवाई अड्डा के पास बायपास रोड के किनारे चौक-चौराहे पर चर्चाओं का बाजार गरम रहा.