मामला आतंकी रेजाउल की गिरफ्तारी का: एनआइए की रडार पर रहा एमएम डिजिटल

भागलपुर: भागलपुर में इनामी आतंकी रेजाउल करीम उर्फ अनवर शेख के छिपे होने की सूचना को एनआइए ने कई स्तर से जांच की. शहर के एमएम डिजिटल नामक एक लॉज एनआइए की रडार पर रहा. इस लॉज के आठ से अधिक युवकों से एनआइए ने पूछताछ की. हालांकि किसी का रेजाउल से संबंध की बात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2015 7:23 AM
भागलपुर: भागलपुर में इनामी आतंकी रेजाउल करीम उर्फ अनवर शेख के छिपे होने की सूचना को एनआइए ने कई स्तर से जांच की. शहर के एमएम डिजिटल नामक एक लॉज एनआइए की रडार पर रहा. इस लॉज के आठ से अधिक युवकों से एनआइए ने पूछताछ की. हालांकि किसी का रेजाउल से संबंध की बात सामने नहीं आयी. जिस इलाके में यह लॉज वह इलाका रेजाउल का ठिकाना रहा है. छात्रों से पूछताछ में भागलपुर पुलिस ने भी एनआइए का सहयोग किया.
ऑन लाइन थे हैदराबाद-कोलकाता के अधिकारी. एनआइए की टीम हर कदम हैदराबाद और कोलकाता के अधिकारी से पूछ कर उठा रहे थे. मोबाइल पर दोनों जगहों के अधिकारी ऑन लाइन थे. बिना पूछे टीम कोई कदम नहीं उठा रही है. फोन पर ही टीम को रेजाउल के लोकेशन की जानकारी दी जा रही थी.
लॉज में रहने वालों का लेखा-जोखा नहीं
भागलपुर के लॉजों में आतंकी छिपे हो सकते हैं. शहर के करीब 500 लॉजों में रह रहे सवा लाख बाहरी विद्यार्थियों का पुलिस के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है. ताज्जुब की बात यह है कि पुलिस के पास सभी लॉजों की सूची तक नहीं है. ऐसे में आतंकी इसका फायदा उठा सकते हैं. आदमपुर थाना क्षेत्र के दीप प्रभा के सामने दिलीप बिंद के मकान में डेटोनेटर मिलने के बाद भी पुलिस हरकत में नहीं आयी. यहां के लॉजों में हर दिन नये विद्यार्थी आ रहे हैं और जा रहे हैं, लेकिन कौन विद्यार्थी का क्या इतिहास रहा है, इसे पता करने की कोशिश भी कभी भागलपुर पुलिस ने नहीं की. जबकि अपराध पर अंकुश लगाने के लिए किरायेदारों का पुलिस सत्यापन आवश्यक है. गृह मंत्रलय ने इस दिशा में विशेष गाइड लाइन जारी किया है. पटना ब्लास्ट के बाद इसे और भी सख्ती से लागू करने का निर्देश डीजीपी ने दिया है. भागलपुर पुलिस के पास शहर के किरायेदारों की भी सूची उपलब्ध नहीं है.
मकान-मालिक नहीं देते किरायेदारों की सूचना
मकान-मालिक का यह दायित्व है कि उनके यहां आने वाले हर नये किरायेदार की सूची संबंधित थाने को दे. सूचना के साथ-साथ किरायेदार का फोटो, उचित पहचान-पत्र आदि भी संलग्न करे, ताकि उसका सत्यापन पुलिस कर सके. शहर में चल रहे एक भी लॉज का पुलिस या जिला प्रशासन के पास रजिस्ट्रेशन नहीं है. मकान मालिक रजिस्ट्रेशन न करा कर सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. पानी, बिजली का घरेलू कनेक्शन ले कर उसका व्यवसायिक उपयोग भी कर रहे हैं.

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