कब्जे की कीमत दो किलो दूध या फिर पैसे

भागलपुर: नाथनगर प्रखंड परिसर में अतिक्रमण खत्म नहीं हो पा रहा है. अधिकारी व कर्मचारी के क्वार्टर पर स्थानीय कब्जा जमाये बैठे हैं, जबकि परिसर का उपयोग पशुपालन के रूप में हो रहा है. यहां के पशुपालक दूध का कारोबार भी करते हैं. इस कारण वर्षो से प्रखंड कार्यालय की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 9:47 AM
भागलपुर: नाथनगर प्रखंड परिसर में अतिक्रमण खत्म नहीं हो पा रहा है. अधिकारी व कर्मचारी के क्वार्टर पर स्थानीय कब्जा जमाये बैठे हैं, जबकि परिसर का उपयोग पशुपालन के रूप में हो रहा है. यहां के पशुपालक दूध का कारोबार भी करते हैं. इस कारण वर्षो से प्रखंड कार्यालय की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. दूसरी ओर आधिकारिक तौर पर कुछ खास नहीं हो पाया. कड़े निर्देश के बाद भी डांट-फटकार कर बस कोरम पूरा कर लिया जाता है. परिणाम स्वरूप इसका असर भी तात्कालिक ही रह जाता है और कुछ ही दिनों में परिसर फिर से तबेले में तब्दील हो जाता है. वर्षो से यह सिलसिला जारी है. केस दर्ज होने का भी अवैध रूप से रह रहे लोगों को डर नहीं है.
ऐसे में परिसर में आते-जाते लोगों के बीच यह चर्चा होती रहती है कि कर्मचारी आवास में रह रहे लोगों से आवास के एवज में क्या सुविधा ली जा रही. क्या किराया लिया जा रहा है, या फिर परिसर में पाले जा रहे निजी गाय-भैंसों का दूध.
बोले अधिकारी
चहारदीवारी इस समस्या का स्थायी समाधान है. कार्रवाई के भय से कुछ लोगों ने परिसर खाली किया है. सामने की ओर चहारदीवारी निर्माण के बाद वह जगह अतिक्रमणमुक्त हुई. प्राक्कलन तैयार कर निर्माण के लिए भेजा जायेगा. इस संबंध में सीओ को पुन: निर्देशित किया जायेगा.
डॉ चंद्रशेखर सिंह, उप विकास आयुक्त
अभियान पड़ा ठंडा
उप विकास आयुक्त के निर्देश पर नाथनगर सीओ तरुण केसरी ने कर्मचारी को अतिक्रमणकारियों की सूची तैयार करने को कहा था. उन्होंने दो जनवरी को पुलिस जवानों के साथ जा कर अतिक्रमणकारियों को हड़काया भी था. इसके बाद कु छ लोगों ने परिसर में पशु बांधना बंद कर दिया था. डीडीसी के निर्देशानुसार सूची तैयार कर सदर एसडीओ को सौंपे जाने व अतिक्रमणकारियों पर 107 का मामला दर्ज कराने को लेकर भी उन्होंने जवाबदेही स्वीकारी थी, लेकिन यह अभियान भी ठंडा पड़ गया है.

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