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नेताजी, हमने सहेज रखी हैं यादें

भागलपुर: क्रांति के दम पर आजादी का इरादा लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1940 में भागलपुर पहुंचे थे. अपने क्रांतिकारी विचारों को लेकर साहित्य, संस्कृति व क्रांति की इस धरा पर जब लाजपत पार्क से उन्होंने संबोधन किया था, तो उनके ओजपूर्ण भाषण से मैदान में मौजूद हजारों लोगों के तन-मन में क्रांति की ऊर्जा […]

भागलपुर: क्रांति के दम पर आजादी का इरादा लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1940 में भागलपुर पहुंचे थे. अपने क्रांतिकारी विचारों को लेकर साहित्य, संस्कृति व क्रांति की इस धरा पर जब लाजपत पार्क से उन्होंने संबोधन किया था, तो उनके ओजपूर्ण भाषण से मैदान में मौजूद हजारों लोगों के तन-मन में क्रांति की ऊर्जा का संचार हो चला था. कांग्रेस से अलग होकर नेताजी स्वराज पार्टी का गठन करना चाहते थे और जनसंपर्क के लिए भागलपुर पहुंचे थे.
ढेबर गेट(अब टूट चुका) के सामने सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस की ससुराल थी. पाल घराने की दो बेटियों की शादी बोस फैमिली में हुई थी. एक अरुण प्रभा पाल की भागलपुर के बोस फैमिली में और दूसरी उषा प्रभा पाल की कोलकाता(तभी कलकत्ता) के बोस फैमिली में. यानी कि सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस से.
पसंद आयी थी भाई के ससुराल की चाय
चाय बहुत पसंद थी, नेताजी को. ब्लैक टी के शौकीन थे सुभाष. खरमनचक के अरुणाभ बोस बताते हैं कि जब किसी और की बनायी चाय नेताजी ने एक घूंट पीकर छोड़ दी, तो उनकी मां को निरुपम कांति पाल के दादा आभास चंद्र पाल ने बढ़िया चाय बनाने का इशारा किया. उनके हाथ की चाय पीकर नेताजी के मुंह से वाह निकली थी.

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