चालक व टेक्नीशियन के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. आवेदन पर डीएम डॉ वीरेंद्र प्रसाद यादव ने सिविल सजर्न डॉ शोभा सिन्हा को जांच का आदेश दिया था. लगातार एक ही आवेदन आने पर डीएम ने पिछले दिनों सीएस को कड़े शब्दों में आदेश दिया था कि प्रभारी पर एफआइआर करें और उसकी कॉपी जमा करें. अस्पताल में लोकल व्यवस्था के तहत एंबुलेंस चलाया जा रहा है. सीएस ने बिना जांच कराये प्रभारी पर एफआइआर दर्ज करने का आदेश दे दिया. जब मामला थाने में पहुंचा, तो प्रभारी डॉ जायसवाल ने सीएस को पत्र लिख कहा कि उक्त चालक को नहीं रख सकते हैं. 2011 में अस्पताल के लिपिक मिलन सिन्हा पर सरकारी दवा फेंकने का आरोप लगा था और उस वक्त यही चालक इसमें लिप्त था.
जिस चालक के कार्यकाल में इस तरह की घटना अस्पताल में हो गयी, दोबारा वैसे व्यक्ति को संस्थान में नहीं रखा जा सकता है. सीएस का कहना है कि पूरे मामले की जानकारी जिलाधिकारी को दी जायेगी. प्रभारी से बार-बार पूछा गया, लेकिन उन्होंने कारण नहीं बताया. जब प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी तब कारण बताया. अब वरीय अधिकारियों से बात करने के बाद जैसा निर्देश मिलेगा, आगे की कार्रवाई होगी. इस पूरे मामले पर जब डॉ जायसवाल का पक्ष लेने के लिए उनके मोबाइल पर कॉल किया, तो उन्होंने रिसीव नहीं किया.