एक दिन में कर दिया 49 ऑपरेशन

भागलपुर: जिला के अस्पतालों में कभी भी छत्तीसगढ़ के विलासपुर में हुई घटना जैसी स्थिति हो सकती है. दरअसल जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार कल्याण कार्यक्रम में मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है. बंध्याकरण व नसबंदी के लक्ष्य को पूरा करने को लेकर प्रखंडों में कैंप लगा कर आनन-फानन में बंध्याकरण किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2015 9:44 AM
भागलपुर: जिला के अस्पतालों में कभी भी छत्तीसगढ़ के विलासपुर में हुई घटना जैसी स्थिति हो सकती है. दरअसल जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार कल्याण कार्यक्रम में मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है. बंध्याकरण व नसबंदी के लक्ष्य को पूरा करने को लेकर प्रखंडों में कैंप लगा कर आनन-फानन में बंध्याकरण किया जा रहा है.

स्थिति यह है कि एक-एक अस्पताल में एक ही चिकित्सक 50-50 महिलाओं का ऑपरेशन कर रही हैं. गोराडीह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जनवरी में प्रभारी डॉक्टर अंजु तुरियार ने एक ही दिन में 49 का बंध्याकरण कर दिया. इतना ही नहीं बंध्याकरण करने के दो घंटे के बाद इन महिलाओं को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गयी. जबकि तय मानक के अनुसार कम से कम 24 घंटे मरीज को चिकित्सक की निगरानी में रखने का नियम है. बता दें कि इस अस्पताल में चार अन्य एमबीबीएस चिकित्सक भी कार्यरत हैं. वे अपने नर्सिग होम में मरीजों का धड़ल्ले से ऑपरेशन करते हैं. लेकिन उनको बंध्याकरण कार्य में नहीं लगाया जाता है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सजर्न को एक ऑपरेशन के लिए 150 रुपये इंसेंटिव (अतिरिक्त) दिया जाता है.

हम तो शुरू से अकेले ही बंध्याकरण करते हैं. यह कोई नयी बात नहीं है. अस्पताल के दो कमरे में चार टेबल लगाते हैं और ऑपरेशन करते हैं. इसमें कोई दिक्कत नहीं है. मरीज को छह-सात घंटे बाद छोड़ देते हैं एवं कुछ महिलाएं रात भर रहती भी हैं. मरीज की सुविधा के मुताबिक उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाती है.
डॉ अंजु तुरियार, प्रभारी, गोराडीह, पीएचसी
एक चिकित्सक एक दिन में 30 से अधिक महिलाओं का बंध्याकरण नहीं कर सकते. यहां कई प्रखंडों में इस तरह की बात सामने आयी है. हमने सबको निर्देश दिया है कि परिवार कल्याण मंत्रलय द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार ही बंध्याकरण कार्यक्रम को चलायें.
अरुण प्रकाश, आरपीएम, हेल्थ

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